देश और दुनिया में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा के बढ़ते मामलों के बीच गृह मंत्रालय ने बुधवार को राज्यों से स्वास्थ्यकर्मियों की पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है। साथ ही राज्यों को राज्य स्तर पर और जिला स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त करने को कहा है जो चिकित्सा पेशेवरों के कामकाज के दौरान किसी भी सुरक्षा मुद्दे के समाधान के लिए 24 घंटे और सातों दिन उपलब्ध रहें।
बता दें कि हाल ही में देश के विभिन्न क्षेत्रों से कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे स्वास्थ्यकर्मियों के साथ बदसलूकी के मामले सामने आए थे। मंत्रालय ने कहा कि नोडल अधिकारियों को स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा की किसी भी घटना के मामले में तत्काल और सख्त कार्रवाई करनी होगी। इसके अलावा राज्यों को कहा है कि वे उन लोगों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करें, जो कोविड-19 के कारण जान गंवाने वाले कोरोना योद्धाओं के अंतिम संस्कार में बाधा डालते हैं।
हमला करने पर होगी 7 साल की जेल
स्वास्थ्यकर्मियों पर हमलों को लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को एक अध्यादेश को मंजूरी दी है। इसमें उनके खिलाफ हिंसा को संज्ञेय और गैर जमानती अपराध बनाया गया है। अध्यादेश में स्वास्थ्यकर्मियों के घायल होने, सम्पत्ति को नुकसान होने पर मुआवजे का भी प्रावधान किया गया है प्रस्तावित अध्यादेश के माध्यम से महामारी अधिनियम 1897 में संशोधन किया जाएगा। इससे स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कर्मियों की सुरक्षा और उनके रहने व काम करने की जगह को हिंसा से बचाने में मदद मिलेगी। अध्यादेश में हिंसा के दोषी के लिए छह महीने से सात साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है।
गृहमंत्री ने दिया आश्वासन
इससे पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के डॉक्टरों से बातचीत की थी। अमित शाह ने डॉक्टरों को सुरक्षा का आश्वासन देते हुए अपील की थी कि वे उनके द्वारा प्रस्तावित सांकेतिक प्रदर्शन न करें, सरकार उनके साथ है। अमित शाह के आश्वासन के बाद आईएमए ने हड़ताल पर जाने का फैसला वापस ले लिया। बता दें कि कोरोना वायरस के संकट के बीच देश में अलग-अलग हिस्सों में मेडिकल टीम पर हो रहे हमलों से नाराज देशभर के डॉक्टरों ने आज सांकेतिक हड़ताल पर जाने का ऐलान किया था।