कोरोना वायरस से बचने के लिए लगभग दो महीने से जारी लॉकडाउन के दौरान कल-कारखाने और कंपनियों में कामकाज ठप पड़ जाने से बहुत बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए हैं। इनमें सबसे खराब स्थिति प्रवासी मजदूरों की है, जो रोज कमाकर रोजी-रोटी कमाते थे और अपना परिवार चलाते थे। इस बीच देश की राजधानी दिल्ली में फंसे हजारों प्रवासी मजदूरों को थोड़ी राहत मिली है। बुधवार की रात दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर से कई राज्यों के लिए बसें खुलीं। हालांकि इन हालातों में मजदूरों को उनके राज्यों तक ले जाने के लिए बस वाले मनमानी कीमत वसूल रहे हैं। इन बसों से सफर करने वाले श्रमिकों का आरोप है कि उनसे यात्रा के लिए अधिक किराया वसूला गया। झारखंड के व्यक्ति से 4000 रुपये लिए गए।
न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर स्थित गाजीपुर में एक यात्री रामदेव शर्मा ने बताया कि वे झारखंड के हैं और अब काम-धंधा खत्म होने के चलते वे अपने राज्य झारखंड लौट रहे हैं। गाजीपुर से झारखंड ले जा रही बस में हमसे प्रति व्यक्ति 4000 रुपये वसूले गए।
एक तरफ दिल्ली सरकार कह रही है कि लोगों को घर भेजने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाया जाएगा, लेकिन जो हालात इन मजदूरों के हैं उसमें यह अपने आप में सवाल है। दिल्ली के गाजीपुर इलाके में बड़ी संख्या में मजदूर अभी भी बैठे हुए हैं। इन्हें समझ नहीं आ रहा कि अब यह क्या करें, क्योंकि ये न वापस जा सकते हैं और उत्तर प्रदेश सरकार इनको आगे पैदल जाने नहीं दे रही।
वहीं, दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर खड़ी एक महिला पूजा ने कहा कि मैं सात माह की गर्भवति हूं। गोद में डेढ़ साल का बेटा भी है मगर, पुलिस वाले हमें अपने घर नहीं जाने दे रहे हैं।
बस में कितनी सवारी बिठानी है, अभी तक नहीं मिला निर्देश: ड्राइवर
बस के ड्राइवर संतोष कहते हैं कि मुझे लगता है कि सामाजिक दूरियों को ध्यान में रखते हुए बस में ज्यादा लोग चढ़ जाते हैं। मुझे अभी तक इस बात के निर्देश नहीं मिले हैं कि बस में कितने लोग सवार हो सकते हैं। मुझे इस बारे में जब कोई दिशानिर्देश मिलेगा तब मैं उसके हिसाब से सवारियां बिठाउंगा और जरूरत से ज्यादा सवारी को उतार लूंगा।
गाजीपुर-यूपी बॉर्डर पर कई प्रवासी मजदूर रोक दिए गए हैं
बता दें कि औरेया हादसे के बाद सीएम योगी के निर्देश के बाद गाजीपुर-यूपी बॉर्डर पर कई प्रवासी मजदूर रोक दिए गए हैं। पुलिस उन्हें अपने क्षेत्र में घुसने नहीं दे रही है। इस वजह से बॉर्डर पर काफी भीड़ बढ़ गई है। बीते तीन से यहां काफी लोग जमा हैं, जिन्हें बारी-बारी से बसों से भेजा जा रहा है। ट्रेनें और बसें नहीं मिली तो हजारों की संख्या में लोग पैदल ही चल पड़े। बताया जा रहा है कि कई लोग 10-12 दिन पैदल चलकर बिहार और झारखंड के अपने गांव पहुंच भी चुके हैं।
बता दें कि प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए सभी बसों को दिल्ली सरकार द्वारा संचालित करने की मंजूरी दी गई है और इनके पास दिल्ली सरकार के पास हैं। इस बीच, लगभग 4 लाख प्रवासियों ने अपने गृह राज्यों की यात्रा के लिए दिल्ली सरकार के ई-पोर्टल पर पंजीकरण किया है और प्रशासन ने अब तक उनमें से 65,000 लोगों के लिए परिवहन की व्यवस्था की है।
बुधवार को लगभग 25 ट्रेनें अलग-अलग राज्यों के लिए रवाना हुईं, जिनमें से 37,500 प्रवासियों को उनके घर कस्बों में ले जाया गया, जिनमें से 11 ट्रेनें उत्तर प्रदेश और बिहार भेजी गईं। सरकार के एक बयान में कहा गया है, "लगभग 4 लाख लोगों ने दिल्ली सरकार के ई-पोर्टल पर दिल्ली से अपने मूल स्थानों पर वापस जाने के लिए पंजीकरण कराया है और अब तक लगभग 65,000 प्रवासियों के लिए परिवहन की व्यवस्था की गई है।
गौरतलब है कि लॉकडाउन के चौथा चरण सोमवार से शुरू हुआ। केंद्र ने रविवार को एक अधिसूचना जारी की, जिसमें दो और हफ्तों के लिए लॉकडाउन को बढ़ा गया।