इन दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने प्रमुख मोहन भागवत के बयान के कारण काफी चर्चा में है। इस कड़ी में केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने दावा किया है कि आजादी के कुछ ही समय बाद जब पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर हमला किया था तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आरएसएस से मदद मांगी थी।
उमा भारती ने सेना को लेकर आरएसएस प्रमुख द्वारा की गई विवादित टिप्पणी के बीच यह दावा किया है। हालांकि, उमा ने भागवत की टिप्पणी पर प्रत्यक्ष तौर पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद कश्मीर के राजा महाराजा हरि सिंह संधि पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे थे और शेख अब्दुल्ला ने हस्ताक्षर करने के लिए उन पर दबाव डाला। जिसे लेकर नेहरू दुविधा में थे और फिर पाकिस्तान ने एकाएक हमला कर दिया और उसके सैनिक उधमपुर की तरफ बढ़ने लगे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘उस समय नेहरूजी ने गुरू गोवलकर (तत्कालीन आरएसएस प्रमुख एम एस गोवलकर) आरएसएस के स्वयंसेवकों की मदद मांगी, आरएसएस स्वयंसेवक मदद के लिए जम्मू-कश्मीर गए थे।’
RSS प्रमुख की टिप्पणी पर बवाल
उमा भारती ने यह बात आरएसएस प्रमुख की उस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो देश के लिए लड़ने की खातिर आरएसएस के पास तीन दिन के भीतर सेना तैयार करने की क्षमता है।
अपनी छह दिवसीय मुजफ्फरपुर यात्रा के अंतिम दिन जिला स्कूल मैदान में आरएसएस के स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा था कि सेना को सैन्यकर्मियों को तैयार करने में छह-सात महीने लग जाएंगे, लेकिन संघ के स्वयं सेवकों को लेकर यह तीन दिन में तैयार हो जाएगी। यह हमारी क्षमता है पर हम सैन्य संगठन नहीं, पारिवारिक संगठन हैं, लेकिन संघ में मिलिट्री जैसा अनुशासन है।
अगर कभी देश को जरूरत हो और संविधान इजाजत दे तो स्वयं सेवक मोर्चा संभाल लेंगे। उन्होंने कहा कि आरएसएस के स्वयं सेवक मातृभूमि की रक्षा के लिए हंसते-हंसते बलिदान देने को तैयार रहते हैं। भागवत ने कहा कि देश की विपदा में स्वयंसेवक हर वक्त मौजूद रहते हैं।