Advertisement

एनएचआरसी ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर कैदियों की समस्याओं पर मांगी रिपोर्ट

देश भर की विभिन्न जेलों में महिला कैदियों सहित कैदियों को हो रही कठिनाइयों का स्वत: संज्ञान लेते हुए...
एनएचआरसी ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर कैदियों की समस्याओं पर मांगी रिपोर्ट

देश भर की विभिन्न जेलों में महिला कैदियों सहित कैदियों को हो रही कठिनाइयों का स्वत: संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी है।

एनएचआरसी ने एक बयान में कहा कि इन समस्याओं में जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों का होना, बुनियादी सुविधाओं और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव शामिल है। आयोग ने कहा, "देश भर की विभिन्न जेलों का दौरा करने के बाद उसके विशेष निगरानीकर्ताओं और प्रतिवेदकों ने अपनी रिपोर्ट के माध्यम से इन मुद्दों को उसके संज्ञान में लाया है।"

आयोग ने कहा कि उसने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी कर उनसे चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी है, जिसमें विभिन्न विवरण शामिल होने चाहिए।

बयान में कहा गया है कि इनमें राज्य की जेलों में बंद महिला कैदियों की संख्या, उन महिला कैदियों की संख्या जिनके बच्चे माताओं के जेल में रहने के कारण जेलों में बंद हैं, उन महिला कैदियों की संख्या जो दोषी करार दी गई हैं और जो विचाराधीन कैदी हैं, उन महिला विचाराधीन कैदियों की संख्या जो एक साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं, और पुरुष विचाराधीन कैदियों की संख्या जो एक साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं, शामिल हैं।

बयान में कहा गया है कि उठाई गई कुछ अन्य चिंताओं में महिला कैदियों के सम्मान और सुरक्षा के अधिकारों का उल्लंघन, उनके खिलाफ बढ़ती हिंसा जिससे मानसिक परेशानी होती है, पर्याप्त शौचालय, सैनिटरी नैपकिन और स्वच्छ पेयजल सुविधाओं के बिना अस्वच्छ स्थिति शामिल हैं।

बयान में कहा गया है कि इसके अलावा, अन्य चिंताओं में खराब गुणवत्ता वाला भोजन शामिल है जिसके परिणामस्वरूप कुपोषण होता है, विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के मामले में, जेलों में उनके साथ रहने वाली महिला कैदियों के बच्चों के लिए शैक्षिक अवसरों की कमी, कानूनी सहायता, व्यावसायिक प्रशिक्षण और पुनर्वास सहित उनके कल्याण कार्यक्रमों का कार्यान्वयन नहीं होना शामिल है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad