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निर्भया के दोषी मुकेश की याचिका पर सुनवाई पूरी, सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगी फैसला

राजधानी दिल्ली के साल 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में मौत की सजा पाए मुकेश कुमार...
निर्भया के दोषी मुकेश की याचिका पर सुनवाई पूरी, सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगी फैसला

राजधानी दिल्ली के साल 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में मौत की सजा पाए मुकेश कुमार सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। कोर्ट अब इस मामले में बुधवार यानी 29 जनवरी को अपना फैसला सुनाएगी। दोषी की वकील अंजना प्रकाश ने कोर्ट में कहा, ‘राष्ट्रपति को जो दया याचिका दी की गई थी, उसमें जेल सुपरिटेंडेंट ने अपना सुझाव नहीं दिया। अगर जेल अधीक्षक को सुझाव देने की जरूरत नहीं थी तो ‘कॉलम’ क्यों दिया गया है, अगर कॉलम है तो उन्हें सुझाव देना चाहिए था। इस मामले की सुनवाई तीन जजों की बेंच कर रही है। इस बेंच में जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस ए एस बोपन्ना शामिल हैं।

मामले की सुनवाई के दौरान मुकेश की वकील ने कहा, ‘वो न्यायिक फैसले को चुनौती नहीं दे रही हैं, क्योंकि जब मुकेश की क्यूरिटिव पीटिशन खारिज हुई, तभी न्यायिक फैसले को चुनौती देने की प्रक्रिया खत्म हो चुकी थी। हम सिर्फ राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज करने के फैसले को चुनौती दे रहे हैं।’

जेल में मुकेश सिंह का यौन उत्पीड़नहुआ था

दोषी की वकील ने कोर्ट में कहा, कहते हैं ‘पाप’ से नफरत करो ‘पापी’ से नहीं, लेकिन जेल अधीक्षक ने कानून का पालन नहीं किया।’ इतना ही नहीं दोषी की वकील ने अपनी दलील में कहा कि जेल में मुकेश सिंह का ‘यौन उत्पीड़न’ हुआ था। वहीं, एक वकील ने यह भी दावा किया कि जेल में मुकेश की पिटाई भी की गई।

मुकेश की मानसिक स्थिति ठीक है- तुषार मेहता

सुनवाई के दौरान सोलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कभी कभार फांसी की सजा पाए दोषी की मानसिक स्थिति खराब हो जाती है, ऐसे में तब फांसी नहीं दी जाती है, लेकिन मुकेश की मानसिक स्थिति ठीक है।

'काल कोठरी में बंद करने का आरोप'

इससे पहले दोषी मुकेश सिंह की वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, ‘अदालत सारी मेरिट पर विचार कर चुकी है। हम सिर्फ दया याचिका खारिज करने में विवेक के इस्तेमाल ना करने की बात पर ही विचार कर सकते हैं।’ उन्होंने कहा, 'मेरे मुवक्किल को दया याचिका खारिज होने से पहले ही काल कोठरी (अकेले जेल) में डाल दिया गया, ये जेल मैन्युअल के खिलाफ है।’  

दोषी के वकील ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने तय किया है कि राष्ट्रपति के फैसले को मेरिट पर चुनौती नहीं दी जा सकती, लेकिन कोर्ट ने चार बिंदुओं पर ही सीमित किया है, जिनके आधार पर चुनौती दी जा सकती है।'

राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज करते समय सोच विचार नहीं किया- मुकेश

वहीं, इससे पहले दोषी मुकेश के वकील ने याचिका पर पक्ष रखते हुए कहा कि राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज करते समय सोच विचार नहीं किया। राष्ट्रपति के सामने मेरी डीएनए रिपोर्ट नहीं पेश की गई, जिससे यह साबित होता है कि मैंने दुष्कर्म नहीं किया।

एक दोषी पवन के पिता की याचिका खारिज

इससे पहले कोर्ट ने चार में से एक दोषी पवन के पिता की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें इकलौते गवाह की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया गया था। कोर्ट ने सभी दोषियों को एक फरवरी का डेथ वारंट जारी किया है। फांसी की सजा को टालने के लिए सभी आरोपी एक-एक कर कोर्ट में कोई न कोई याचिका दाखिल कर रहे हैं।

राष्ट्रपति ने खारिज की थी दया याचिका

निर्भया कांड में मौत की सजा पाने वाले दोषियों में से एक मुकेश कुमार सिंह की दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 17 जनवरी को खारिज की थी। इसके बाद दोषी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती दी है। बता दें कि कोर्ट ने चारों मुजरिमों को एक फरवरी को मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाने के लिये आवश्यक वारंट जारी किया था।

शनिवार को दायर की थी याचिका

निर्भया मामले में दोषी फांसी से बचने के लिए रोज नए-नए दांव चल रहे हैं। अब एक दोषी मुकेश सिंह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से दया याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। मुकेश की वकील वृंदा ग्रोवर ने राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती देते हुए इसकी न्यायिक समीक्षा की मांग की है। ग्रोवर ने बताया कि यह याचिका संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दी गई है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के शत्रुघ्न चौहान मामले में दिए गए फैसले का भी हवाला दिया गया है।

मुकेश ने 1 फरवरी के लिए जारी डेथ वारंट पर रोक लगाने की भी मांग की

बता दें कि मुकेश ने अर्जी में 1 फरवरी के लिए जारी डेथ वारंट पर रोक लगाने की मांग भी की है। इससे पहले निर्भया केस के चार में तीन दोषियों विनय, पवन और अक्षय ठाकुर की ओर से वकील एपी सिंह ने शुक्रवार को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दाखिल कर तिहाड़ जेल प्रशासन से दोषियों से संबंधित कागजात उपलब्ध कराने की मांग की थी। शनिवार को कोर्ट ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को कागजात उपलब्ध करा दिए।

एक फरवरी को दोषियों को फांसी हो ही जाए- आशा देवी

इस बीच निर्भया की मां आशादेवी ने अपनी वेदना व्यक्त करते हुए कहा कि बीते 7 वर्ष में उन्हें कई बार हताशा-निराशा का सामना करना पड़ा है। वे व्यवस्था से अपील करती है कि आगामी एक फरवरी को दोषियों को फांसी हो। उन्होंने संवाददाताओं से निर्भया के दोषियों को माफ किए जाने को लेकर उठ रही आवाजों से जुड़े प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि बीते 7 वर्ष से वे अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए लड़ रही हैं।

उन्होंने कहा, ‘क्रूरतम अपराध सामूहिक दुष्कर्म के बाद मौत से लड़ती उनकी बेटी की आखिर क्या गलती थी।’ उन्होंने कहा कि जिंदगी की जंग लड़ती उनकी बेटी को उन्होंने तड़पते-मरते हुए देखा है। ऐसी वेदना से ईश्वर सबको दूर रखें। आशा देवी ने आरोप लगाते हुए कहा कि बीते 7 वर्षों में कोई मानव अधिकार का नुमाइंदा उनसे नहीं मिला है। उन्हें तारीख पर तारीख मिल रही है। अब आगामी एक फरवरी को सभी दोषियों को फांसी मिले, इससे निर्भया को इंसाफ मिलेगा।

1 फरवरी को सुबह 6 बजे दी जाएगी फांसी

निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा पर अमल के लिए एक फरवरी सुबह 6 बजे का डेथ वारंट जारी हो चुका है, लेकिन फांसी से बचने के लिए दोषी हर तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। दोषियों के वकील एपी सिंह ने अदालत में कहा कि जेल प्रशासन को कागजात प्रदान कराने संबंधी निर्देश जारी किए जाएं, जिससे वह फांसी की सजा पाए दोषियों को शेष कानूनी उपचार (उपचारात्मक याचिका और दया याचिका) उपलब्ध करा सके।

सुनवाई के दौरान सरकारी वकील इरफान अहमद ने कोर्ट को बताया कि दोषी के वकील की ओर से मांगे गए दस्तावेज पहले ही मुहैया कराए जा चुके हैं। हमारे पास रसीद भी है। अब दोषियों के वकील एपी सिंह गैरजरूरी दस्तावेजों का हवाला देकर जानबूझकर कर मामले को लटकाने की कोशिश कर रहे हैं।

इससे पहले 22 जनवरी को सुबह 7 बजे होनी थी फांसी 

इससे पहले उन्हें 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी दी जानी थी, लेकिन एक दोषी ने दया याचिका दायर की थी और उसकी दया याचिका खारिज होने के बाद प्रक्रिया के तहत नया डेथ वॉरंट जारी किया गया। चारों दोषियों में मुकेश सिंह, अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा और पवन गुप्ता शामिल हैं। एक दोषी ने जेल में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।

जानें क्या है पूरा मामला

बता दें कि 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। 23 वर्षीय निर्भया के साथ चलती बस में गैंगरेप किया गया था और उसकी बुरी तरह पिटाई की थी। बाद में अस्पताल में निर्भया की मौत हो गई थी। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने मामले में 6 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें से एक नाबालिग था। नाबालिग को किशोर अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जबकि राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। इसके अलावा बाकी 4 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है।

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