देश में कोरोना संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोरोना संक्रमण का टीका लगवाने के लिए किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी उस दौरान आई जब, कोर्ट में कोविड वैक्सीनेशन की अनिवार्यता को असंवैधानिक घोषित करने वाली याचिका पर सुनवाई चल रही थी।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के तहत शारीरिक स्वायत्तता और अखंडता की रक्षा की जाती है और किसी को भी टीकाकरण कराने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। साथ ही कोविड टीकाकरण नहीं करवाने वालों के सार्वजनिक स्थलों पर जाने को लेकर लगाई गई रोक को सुप्रीम कोर्ट ने अनुचित बताया और राज्यों को ऐसे प्रतिबंध हटाने का सुझाव दिया।
वहीं, न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह कोविड-19 टीकाकरण के प्रतिकूल प्रभावों का आंकड़ा सार्वजनिक करें। यह मामला जैकब पुलियेल ने शीर्ष अदालत में उठाया था। इसी की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने वैक्सीनेशन से जुड़ा फैसला दिया।
जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बी आर गवई की पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत शारीरिक स्वायत्तता और अखंडता की रक्षा की जाती है। वर्तमान कोविड-19 वैक्सीन पॉलिसी को स्पष्ट रूप से मनमाना और अनुचित नहीं कहा जा सकता है। पीठ ने कहा- मामलों की संख्या कम होने तक हम सुझाव देते हैं कि संबंधित आदेशों का पालन किया जाए और टीकाकरण नहीं करवाने वाले व्यक्तियों के सार्वजनिक स्थानों में जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाए। यदि पहले से ही कोई प्रतिबंध लागू हो तो उसे हटाया जाए।
देश में दो महीने से ज्यादा समय बाद कोरोना वायरस की संक्रमण दर एक प्रतिशत के पार पहुंच गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी। सोमवार को भारत में एक दिन में कोविड-19 के 3,157 नए मामले सामने आए हैं। इसके बाद अब तक संक्रमित हो चुके लोगों की संख्या बढ़कर 4,30,82,345 हो गई। इसके साथ ही अब तक 189.23 करोड से अधिक कोविड टीके लगाए जा चुके हैं।