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30 साल बाद फिर से शुरू हुई कश्मीर की सबसे पुरानी सिल्क फैक्ट्री, जानें क्यों की गई थी बंंद

धरती पर जन्नत कहे जाने वाले कश्मीर के अच्छे दिन आ गए हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि कश्मीर में बंद...
30 साल बाद फिर से शुरू हुई कश्मीर की सबसे पुरानी सिल्क फैक्ट्री, जानें क्यों की गई थी बंंद

धरती पर जन्नत कहे जाने वाले कश्मीर के अच्छे दिन आ गए हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि कश्मीर में बंद पड़ी फैक्ट्रियों को दोबारा शुरू किया जा रहा है ताकि वहां के लोगों को रोजगार देने के साथ-साथ उत्पादों को भी दोबारा शुरू किया जा सके। फिलहाल श्रीनगर में बंद पड़ी रेशम की सबसे पुरानी फैक्ट्री को करीब करीब 30 साल बाद फिर से खोल दिया गया है। करीब 30 साल पहले इस फैक्ट्री से होने वाले नुकसान के चलते इसे बंद कर दिया गया था।

तीस साल बाद दोबारा खोली गई श्रीनगर के सोलिना में स्थित 121 साल पुरानी सिल्क फैक्ट्री में रविवार से काम शुरू किया गया है। इस फैक्ट्री को 1897 में ब्रिटेन की सिल्क एसोसिएशन के प्रेसिडेंट सर थॉमस वार्डले ने स्थापित किया था।

क्या बोलीं टेक्सटाइल कमिश्नर

टेक्सटाइल कमिश्नर डॉ. कविता गुप्ता ने बताया कि कश्मीर की कला और संस्कृति को बनाए रखने और बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार का यह फैसला प्रशंसनीय है। उन्होंने आगे कहा कि वह कश्मीर के युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के सरकार के इस प्रयास की तारीफ करती हैं।

गुप्ता ने बताया कि सरकार सिल्क बनाने के लिए जरूरी मशीन और जगह का इंतजाम भी करेगी। उन्होंने कहा कि कश्मीरियों के बनाए सिल्क के कपड़ों को भी अब उनकी गुणवत्ता के हिसाब से उचित कीमत मिलेगी।

 

कारीगरों का क्या है कहना

कारीगर बशीर अहमद ने बताया कि यहां बने सिल्क के उत्पादों की गुणवत्ता चीन के उत्पादों से बेहतर होती है। दूसरे कारीगर अब्दुल राशिद ने कहा कि सरकार के इस कदम से क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिलेगा। यहां के करीब 70 प्रतिशत युवा बेरोजगार हैं। फैक्ट्री के दोबारा शुरू होने से बहुत से कश्मीरी युवाओं को काम मिलेगा।

फैक्ट्री को दोबारा शुरू करने के लिए विश्व बैंक ने दिया 12 करोड़ का लोन

वहीं, जम्मू-कश्मीर इंडस्ट्री लिमिटेड के जावेद इकबाल ने एक स्थानीय मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि फैक्ट्री को फिर से शुरू करने के लिए विश्व बैंक ने 12 करोड़ रुपये का लोन दिया है, इसके अलावा केंद्रीय सिल्क बोर्ड ने भी इसमें मदद की है। जावेद के मुताबिक अगले 2 महीने के दौरान इस इकाई से रेशम उत्पादन को दोगुना कर लिया जाएगा।

इस ब्रिटिश बिजनेसमैन ने की थी इस फैक्ट्री की शुरुआत

इस फैक्ट्री की शुरूआत एक ब्रिटिश बिजनेसमैन ने 1897 में की थी, जिनका नाम था सर थॉमस वार्डल। वो सिल्क एसोसिएशन ऑफ ग्रेट ब्रिटेन के अध्यक्ष थे। जानकारों की मानें तो ये कश्मीर की सबसे पुरानी फैक्ट्रियों में से एक है। कभी इस फैक्ट्री में बने उत्पाद का पूरे देश में निर्यात किया जाता था।

तो इस वजह से बंद कर दी गई थी ये फैक्ट्री

बताया जा रहा है कि इस फैक्ट्री को 30 साल बाद दोबारा शुरू करने का मकसद यही है कि इसे दोबारा से उसी स्तर पर ले जाया जा सके। कश्मीर के सोलिना में स्थित ये फैक्ट्री घटते हुए उत्पादन और भारी नुकसान की वजह से बंद हो गई थी।  

इतने लोगों को मिलेगा फायदा

दोबारा शुरू की गई इस फैक्ट्री में इस समय करीब दर्जनभर लोग काम कर रहे हैं। इस फैक्ट्री के एक बार फिर से शुरू होने से स्थानीय लोगों को काफी फायदा होगा। इससे कोकून का उत्पादन करने वाले लगभग 50 हजार किसान भी खुश हैं। इन्हें इससे सीधा फयदा मिलेगा। वहीं, दूसरी ओर राज्य में सरकार के सिल्क प्रोडक्शन की योजना को भी बल मिलेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार इस प्रोजेक्ट के तहत स्किल डिवेलपमेंट की ट्रेनिंग भी देगी।

रेशम से है कश्मीर का पुराना नाता

कश्मीर का रेशम से पुराना नाता रहा है। कश्मीर को दुनियाभर में बेहतर सिल्क का उत्पादन करने के लिए भी जाना जाता है। घाट में लोटस और टुलिप समेत कई तरह के सिल्क का उत्पादन होता है। इसलिए सरकार भी योजना को आगे बढ़ाने के लिए निवेश करने में जुटी हुई है। सिल्क फैक्ट्रियों में बने उत्पादों की मार्केटिंग के लिए जम्मू एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशनों में शोरूम बनाने का भी विचार रहा है। अब देखने वाली बात ये होगी कि आखिर आने वाले समय में ये फैक्ट्री देश की जनता को किस तरह का पहुंचाती है।   

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