जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की हिरासत का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। उमर अब्दुल्ला की बहन ने पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत हिरासत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस मामले में कोर्ट ने याचिका दाखिल करने की अनुमति दी।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को याचिका दाखिल करने की अनुमति दे दी। उमर अब्दुल्ला 5 अगस्त, 2019 से सीआरपीसी की धारा 107 के तहत हिरासत में थे। इस कानून के तहत, उमर अब्दुल्ला की छह महीने की एहतियातन हिरासत अवधि गुरुवार यानी 5 फरवरी 2020 को खत्म होने वाली थी। लेकिन 5 जनवरी को सरकार ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) लगा दिया है।
उमर अब्दुल्ला की बहन की ओर से पेश हुए कपिल सिब्बल ने कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की। इस पर कोर्ट ने कहा कि वो विचार करेंगे।
उमर अब्दुल्ला के खिलाफ ये हैं आरोप
उमर अब्दुल्ला के खिलाफ अन्य आरोपों में अनुच्छेद 370 को खत्म करने के केंद्र के फैसले का विरोध और "राष्ट्र की एकता और अखंडता के खिलाफ ट्विटर पर लोगों को उकसाना" शामिल है। हालांकि, इस आरोप का समर्थन करने के लिए किसी भी ट्विटर पोस्ट का हवाला नहीं दिया गया है। वहीं, 5 अगस्त 2019 को गिरफ्तारी से पहले उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट करते हुए लोगों से शांति बनाए रखने का आह्वान किया था
3 महीने से 1 साल तक बिना किसी ट्रायल के बढ़ाई जा सकती है हिरासत
इसके बाद उमर अब्दुल्ला की हिरासत को 3 महीने से 1 साल तक बिना किसी ट्रायल के बढ़ाया जा सकता है। उमर अब्दुल्ला के खिलाफ अन्य आरोपों में अनुच्छेद-370 को खत्म करने के केंद्र के फैसले का विरोध और राष्ट्र की एकता और अखंडता के खिलाफ ट्विटर पर लोगों को उकसाना शामिल है। हालांकि, इस आरोप का समर्थन करने के लिए किसी भी ट्विटर पोस्ट का हवाला नहीं दिया गया है। वहीं, 5 अगस्त 2019 को गिरफ्तारी से पहले उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट करते हुए लोगों से शांति बनाए रखने का आह्वान किया था।