जम्मू कश्मीर से का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद से नजरबंद पूर्व मुख्मयंत्री और श्रीनगर से सांसद फारूक अब्दुल्ला की रिहाई की मांग को लेकर कांग्रेस और विपक्षी दलों ने लोकसभा में सरकार पर हमला बोला। विरोध में विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी की और सदन से वॉकआउट किया।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने मांग करते हुए कहा, "फारूक अब्दुल्ला सहित तीन पूर्व मुख्यमंत्री पिछले छह महीनों से जेलों में बंद हैं, उन्हें कोई उचित कारण बताए बिना सलाखों के पीछे डाल दिया गया है।" चौधरी ने कहा कि डॉ. अब्दुल्ला सरकार की अवैध हिरासत में हैं। सरकार अपने रुख पर अडिग है। उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। अधीर रंजन चौधरी ने वॉकआउट का ऐलान किया और इसके साथ ही विपक्षी दलों के सदस्य भी सदन से बाहर चले गए।
तृणमल कांग्रेस (टीएमसी) नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने भी इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि डा फारुक अब्दुल्ला की नजरबंदी के मुद्दे को सर्वदलीय बैठक में भी उठाया गया। उन्होंने कहा कि कम से सरकार को उनकी स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में बताना चाहिए।
नजरबंदी को हो चुके हैं छह माह
कांग्रेस के के सुरेश ने यह मामला उठाते हुए कहा कि डा फारुक अब्दुल्ला की नजरबंदी को छह माह हो चुके हैं। इसी सदन के सदस्य और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ अब्दुल्ला पिछले तीन सत्रों से सदन में आने में असमर्थ हैं। उन्हें यहां आकर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर दिया जाना चाहिए। इसके बाद कांग्रेस, द्रमुक, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, नेकां, वामदलों के सदस्य आसन के सम्मुख आकर नारेबाजी करने लगे।
प्रियंका गांधी ने किया सवाल
प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा, 'छह महीने हो चुके हैं तब से जम्मू-कश्मीर में पूर्व मुख्यमंत्री बिना किसी आरोप के कैद हैं और लाखों लोग पाबंदी में हैं। उन्होंने सवाल किया, 'छह महीने पहले हम पूछ रहे थे कि यह कितना लंबे समय तक चलेगा?' प्रियंका ने कहा,'अब हम पूछ रहे हैं कि क्या हम अब भी लोकतंत्र हैं या नहीं।'
बता दें कि सरकार ने पिछले पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के विशेष प्रावधान खत्म किया था और उसके बाद एहतियातन सुरक्षा संबंधी पाबंदियां लगाई गई थीं। पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला सहित कई नेताओं को हिरासत में लिया गया था। सरकार का कहना है कि पाबंदियों में धीरे-धीरे ढील दी जा रही है।