किसान आंदोलन के बीच पीएम मोदी ने सोमवार को कहा कि पुराने कानूनों के साथ रिफॉर्म नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि पिछली सदी में उपयोगी रहे कानून अगली शताब्दी के लिए ‘बोझ’ बन जाते हैं, इसीलिए सुधार की प्रक्रिया लगातार चलनी चाहिए। पहले रिफॉर्म टुकड़ों में होते थे। कुछ सेक्टरों, कुछ विभागों को ध्यान में रखकर होते थे। अब एक संपूर्णता की सोच से रिफॉर्म किए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने आगरा मेट्रो रेल परियोजना के निर्माण कार्यों की वर्चुअल तरीके से शुरुआत करने के बाद अपने संबोधन में किसी का जिक्र किए बगैर कहा, ''नई सुविधाओं और व्यवस्थाओं के लिए सुधार बहुत जरूरी हैं। हम पिछली सदी के कानून लेकर अगली शताब्दी का निर्माण नहीं कर सकते। जो कानून पिछली शताब्दी में बहुत उपयोगी हुए, वे अगली शताब्दी के लिए बोझ बन जाते हैं और इसलिए सुधार की लगातार प्रक्रिया होनी चाहिए।
पीएम ने कहा कि ‘लोग अकसर सवाल पूछते हैं कि पहले की तुलना में अब हो रहे सुधार ज्यादा बेहतर तरीके से काम क्यों करते हैं। इसका कारण सीधा है। पहले सुधार टुकड़ों में होते थे. कुछ सेक्टरों और कुछ विभागों को ध्यान में रखकर होते थे, मगर अब एक संपूर्णता की सोच से सुधार किए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कानूनों में बदलाव और रिफार्म की बातें ऐसे समय पर कहीं हैं जब अगले ही दिन कानूनों में बदलाव के खिलाफ भारत बंद का आह्वान किया गया है। देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियां कांग्रेस, एनसीपी, डीएमके, सपा, टीआरएस और लेफ्ट पार्टियों ने भारत बंद को समर्थन दिया है।
किसानों का कहना है कि नया कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को प्रभावित करेगा और उन्हें बड़े कॉर्पोरेट्स की दया पर छोड़ देगा। सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच बातचीत शनिवार को पांच दौर की चर्चा के बाद भी बेनतीजा रही है। यूनियन नेता नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े हैं।