प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वैज्ञानिकों से अपील की कि वे अपने अनुसंधान का विस्तार प्रयोगशाला से जमीन तक करें। इंफाल में 105 वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस के उद्घाटन सत्र में उन्होंने कहा कि ऐसा होने से लोगों को ज्यादा फायदा होगा। उन्होंने कहा कि आर एंड डी को राष्ट्र के विकास के लिए अनुसंधान के रूप में पुन: परिभाषित करने का यह श्रेष्ठ समय है। उन्होंने कहा कि भारत की समृद्ध परंपरा रही है और खोज तथा विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी के इस्तेमाल का लंबा इतिहास रहा है।
उन्होंने वैज्ञानिक समुदाय से अपने अनुसंधान का विस्तार करने का अनुरोध करते हुए कहा कि‘ इस क्षेत्र में अग्रणी देशों के बीच अपने सही स्थान का फिर से दावा करने का यह सही समय है। मोदी ने कहा कि राष्ट्र की समृद्धि और विकास के लिए अहम प्रोद्यौगिकियों को भविष्य में लागू करने के लिए देश को तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रोद्यौगिकी शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल एवं बैंकिंग सेवा की नागरिकों तक ज्यादा पहुंच हासिल करने में मदद देगी।
उन्होंने कहा कि आज इस बात की जरूरत है कि अपनी वैज्ञानिक उपलब्धियों को समाज तक पहुंचाया जाए। इससे युवाओं का वैज्ञानिक मिजाज बनेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें अपने संस्थान और प्रयोगशालाएं अपने बच्चों के लिए खोलने होंगे। मैं वैज्ञानिकों से अनुरोध करता हूं कि स्कूली बच्चों के साथ संवाद कायम करने के लिए वह कोई तंत्र विकसित करें।’
युवाओं में वैज्ञानिक चिंतन विकसित करने के लिए प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिकों से व्यक्तिगत अनुरोध किया कि वह कक्षा नौंवी से बारहवीं कक्षा के 100 छात्रों के साथ सालाना 100 घंटे बिताएं और उनके साथ विज्ञान और प्रोद्यौगिकी पर चर्चा करें।
उन्होंने 2022 तक 100 गीगावॉट की क्षमता की स्थापित सौर ऊर्जा का लक्ष्य तय किया। मोदी ने कहा कि बाजार में फिलहाल उपलब्ध सोलर मॉड्यूल की क्षमता करीब17-18 फीसदी है। क्या हमारे वैज्ञानिक और किफायती सोलर मॉड्यूल विकसित करने की चुनौती स्वीकार करेंगे, जिसे समान लागत पर भारत में ही बनाया जा सके।