जींद विधानसभा सीट पर 28 जनवरी को होने जा रहे उपचुनाव के लिए नामांकन का गुरुवार को आखिरी दिन है। जींद सीट से इनेलो विधायक रहे हरिचंद मिड्ढा के निधन के बाद उपचुनाव हो रहा है। इसके लिए बुधवार को भाजपा ने उनके बेटे डॉ. कृष्ण मिड्ढा को उम्मीदवार बनाया। जवाब में कांग्रेस ने देर रात पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी व कैथल के विधायक रणदीप सुरजेवाला को मैदान में उतार दिया।
वहीं, जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने जींद में देर शाम तक बैठक की, पर प्रत्याशी फाइनल नहीं हो सका। चर्चा रही कि पार्टी दिग्विजय चौटाला व पूर्व विधायक बृजमोहन सिंगला के बेटे अंशुल सिंगला के नाम पर विचार कर रही है। इनेलो ने भाजपा के सुरेंद्र बरवाला को ऑफर दिया है। लक्ष्य डेयरी के मालिक बलजीत सिंह रेढू के नाम पर भी विचार हो रहा है। चर्चा यह भी है कि पार्टी अभय के बेटे कर्ण को भी उतार सकती है। मौजूदा हालात में प्रदेश की सियासत में जींद फिर निर्णायक भूमिका में आ गया है।
कांग्रेस ने सुरजेवाला को क्यों उतारा
लगातार बैठकों के दौर के बावजूद किसी एक नाम पर कांग्रेस के नेताओं में सहमति नहीं बन रही थी। चुनाव में गुटबाजी का सामना करना पड़ सकता था। उपचुनाव ज्यादा दूर नहीं हैं। ऐसे में रणदीप सुरजेवाला पर सहमति बनी। सवाल यह है कि पहले से विधायक सुरजेवाला पर कांग्रेस ने क्यों दांव लगाया?
हिंदी बेल्ट के तीन बड़े राज्यों में जीत के बाद कांग्रेस लोकसभा चुनाव से पहले लगातार मजबूत दिखना चाहती है। कांग्रेस पहले भी कई उपचुनावों में भाजपा को हरा चुकी है। जींद उपचुनाव में भाजपा का पलड़ा भारी माना जा रहा है क्योंकि हरिचंद मिड्ढा के बेटे कृष्ण मिड्ढा को सहानुभूति वोट मिलने का अनुमान है, इसलिए पार्टी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस के लिए एक मजबूत उम्मीदवार उतारना जरूरी था। साथ ही इनेलो भी टक्कर में है। यहां इनेलो का मजबूत वोटबैंक है। सुरजेवाला व चौटाला परिवार में हमेशा टक्कर रही है। चौटाला परिवार को उसके गढ़ में टक्कर देने को रणदीप को उतारा गया। रणदीप सुरजेवाला 26 साल बाद उपचुनाव में उतरे हैं। उनके पिता शमशेर सिंह सुरजेवाला के 1993 में राज्यभा में चले जाने के बाद रणदीप सुरजेवाला ने नरवाना से उपचुनाव लड़ा था।
रणदीप सुरजेवाला साल 2005 में हरियाणा कैबिनेट में मंत्री बने थे। उस कैबिनेट में ये सबसे कम उम्र के मंत्री थे। सुरजेवाला ने हरियाणा कैबिनेट में नागरिक उड्डयन, पीडब्ल्यूडी, आईटी, जल आपूर्ति, विज्ञान और तकनीकी जैसे मंत्रालय संभाले हैं। सुरजेवाला ने अपने करियर में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला को दो बार साल 1996 और 2005 में हराया,जो कि सुरजेवाला की ऐतिहासिक जीत मानी जाती है।
ऐसे हुआ रणदीप का नाम फाइनल
कांग्रेस प्रत्याशी के नाम को लेकर सुबह 9:30 बजे केंद्रीय पर्यवेक्षक केसी वेणुगोपाल की अध्यक्षता में दिल्ली में सवा दो घंटे मैराथन बैठक हुई। इसमें पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा, रणदीप सुरजेवाला, दीपेंद्र हुड्डा, शैलजा, किरण चौधरी और कैप्टन अजय यादव ने भाग लिया। किसी एक नाम पर सहमति नहीं बनी।
शाम 7:30 फिर बैठक हुई लेकिन किसी नाम पर सहमति नहीं बनी। सभी नेताओं ने फैसला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर छोड़ दिया। रात 9:30 बजे वेणुगोपाल ने जयपुर से लौटे राहुल गांधी को संभावित प्रत्याशियों पर रिपोर्ट दी। रात 10:30 बजे राहुल ने सुरजेवाला से बात कर चुनाव में उतरने को कहा। 11:20 बजे मुकुल वासनिक के हस्ताक्षर युक्त पत्र जारी कर सुरजेवाला को प्रत्याशी घोषित कर दिया।
भाजपा ने मिड्ढा को क्यों उतारा
इनेलो से भाजपा में आए कृष्ण मिड्ढा के पिता पूर्व विधायक डॉ. हरिचंद मिड्ढा यहां से 2 बार विधायक रहे थे। उनकी छवि का फायदा पार्टी को मिल सकता है। सहानुभूति वोट पर भी भाजपा की नजर है।कृष्ण मिड्ढा सीएम मनोहर लाल से मिलकर पार्टी में शामिल हुए थे। हरिचंद मिड्ढा की सभी मांगों को निधन के बाद विधानसभा में स्वीकार कर सीएम ने पहले ही संकेत दे दिए थे। मिड्ढा को उम्मीदवार बनाकर उसके वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए भाजपा ने यह दांव खेला।
जींद विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, हरियाणा के जींद जिले में स्थित एक विधानसभा क्षेत्र है। यह सोनीपत लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के अन्तर्गत आता है। यहां 2005 से लेकर 2009 तक कांग्रेस के मांगेराम गुप्ता विधायक थे। इसके बाद 2009 में इनेलो के हरिचंद मिड्ढा विधायक बने थे।