भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई ने रविवार को कहा कि मौजूदा समय में कुछ लोगों और समूहों का आक्रामक व्यवहार देखने को मिल रहा है। हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि इस तरह की गतिविधियां सिर्फ 'अपवाद' हैं और देश की मजबूत विधिक संस्थाओं की परंपरा द्वारा पराजित होंगी।
सीजेआई ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि इस तरह की घटनाएं अपवाद साबित होंगी और हमारी संस्थाओं की मजबूत परंपराएं और चरित्र हमेशा लचीलापन दिखाते हुए इस तरह के आक्रामक तत्वों को पराजित करेंगी।' वह गुवाहाटी हाई कोर्ट के एक ऑडिटोरियम के शिलान्यास के बाद बोल रहे थे।
'1000 से ऊपर केस 50 सालों से पेंडिंग'
सीजेआई ने कहा कि सरकारी दफ्तरों और संस्थाओं से उलट अदालतें अनोखी हैं क्योंकि यह इंसाफ के पहिये को आगे बढ़ाने के लिए हर दिन तमाम हितधारकों की मदद करती है, भले ही वे किसी इकलौते आदेश से बंधे हुए नहीं हों। सीजेआई गोगोई ने कहा कि जजों और न्यायिक अधिकारियों को याद रखना चाहिए कि फैसले और अदालती आदेश जनता के विश्वास पर असर डालते हैं।
उन्होंने कहा कि 1000 से ऊपर केस 50 सालों से पेंडिंग हैं। साथ ही दो लाख से ज्यादा केस पिछले 25 सालों से पेंडिंग हैं।
'भरोसे पर हमारी संस्था का अस्तित्व'
उन्होंने कहा, 'आज मैं जोर देकर यह कहने के लिए मजबूर हूं कि जजों और न्यायिक अफसरों को इस बात को जरूर याद रखना चाहिए कि जनता के जिस विश्वास और भरोसे पर हमारी संस्था का अस्तित्व है, वह हमारे आदेशों और फैसलों के आधार पर बना है।' सीजेआई ने यह भी कहा कि न्यायिक पदाधिकारी के रूप में चयनित होना इस प्रतिष्ठित संस्था की सेवा करने का एक अवसर है, जिसका मूल्य हमेशा कल्पना से काफी अधिक है।