पुणे पुलिस ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में मिलिंद एकबोटे और संभाजी भिडे समेत 163 लोगों को नोटिस जारी किया है। पहली जनवरी को कोरेगांव भीमा लड़ाई की 202वीं वर्षगांठ और भीमा कोरेगांव मामले की दूसरी वर्षगांठ है जिसके तहत पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया है।
कोरेगांव भीमा हिंसा मामले में मिलिंद एकबोटे पर आरोप है कि उन्होंने कोरेगांव भीमा में पिछले साल हिंसा भड़काई थी। इस मामले में पुणे की देहात पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था। एकबोटे को अप्रैल 2018 में कुछ शर्तों पर जमानत दे दी थी। बाद में इस साल जनवरी में मिलिंद एकबोटे पर लगाई गईं पाबंदिया हटा ली गई थीं।
क्या है भीमा कोरेगांव मामला
31 दिसंबर, 2017 को भीमा कोरेगांव में पेशवाओं पर महार रेजिमेंट की जीत के दो सौ साल पूरे हुए थे जिसके उपलक्ष्य में पुणे के शनिवारवाड़ा में यल्गार परिषद ने जश्न मनाने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसमें सुधीर धावले, पूर्व जस्टिस बीजी कोल्से पाटिल के अलावा कई अन्य संगठन दलितों और अल्पसंख्यकों पर मौजूदा सरकार के अत्याचारों का दावा करते हुए एकजुट हुए थे। इस जश्न के अगले ही दिन भीमा कोरेगांव में हिंसा हुई थी। इसमें एक व्यक्ति की जान चली गई थी।
सालगिरह पर मनाते हैं जश्न
कई दलित समूह भीमा कोरेगांव युद्ध की सालगिरह पर मनाते हैं जिसमें अंग्रेजों ने महाराष्ट्र के पेशवाओं को हराया था। पुणे-अहमदनगर मार्ग पर पेरणे गांव में स्थित स्मारक, अंग्रेजों ने युद्ध में मारे गए सैनिकों की याद में बनवाया था। दलित नेता अंग्रेजों की जीत का जश्न मनाते हैं क्योंकि महार समुदाय के सैनिक ईस्ट इंडिया कंपनी के बल का हिस्सा थे। पेशवा ब्राह्मण थे और इस जीत को दलितों की दृढ़ता के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है।