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लंबे समय तक रहता है कोरोना का ये लक्षण, इस रिपोर्ट में हुआ खुलासा

स्वीडन में हुए एक शोध के अनुसार, 2020 में कोरोना की पहली लहर से संक्रमित लगभग 50 प्रतिशत लोगों की सूंघने की...
लंबे समय तक रहता है कोरोना का ये लक्षण, इस रिपोर्ट में हुआ खुलासा

स्वीडन में हुए एक शोध के अनुसार, 2020 में कोरोना की पहली लहर से संक्रमित लगभग 50 प्रतिशत लोगों की सूंघने की क्षमता लॉन्ग टर्म या यहां तक कि स्थायी रूप से परिवर्तित हो सकती हैं।

महामारी के शुरुआती दिनों में स्मेल का अचानक चले जाना या उसका विकृत हो जाना, कोविड संक्रमण का एक असामान्य लक्षण बनकर उभरा था। उस दौरान संक्रमित हुए कुछ लोग ठीक हो गए, लेकिन अभी भी कुछ लोगों की स्मेल की सेंस सामान्य नहीं हुई है।

गार्जियन के अनुसार, इसका पता लगाने के लिए, स्टॉकहोम में करोलिंस्का इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने 2020 में संक्रमण की पहली लहर में संक्रमित हुए 100 व्यक्तियों पर व्यापक परीक्षण किए। अध्ययन के निष्कर्षों से पता चला है कि कोविड से ठीक होने के 18 महीने बाद 4 प्रतिशत लोगों ने पूरी तरह से सूंघने क्षमता खो दी है , वहीं एक तिहाई लोगों में स्मेल को सेंस करने की क्षमता कम हो गयी है और लगभग आधे लोगों में पारोस्मिया की शिकायत मिली।

शोधकर्ताओं की टीम ने निष्कर्ष निकाला है कि कोविड से उबरने वालों में से 65 प्रतिशत लोगों ने या तो गंध की कमी या गंध की भावना का विकृत हो जाना पाया गया है। जबकि इसमें से 20 प्रतिशत लोग तो वायरस से संक्रमित भी नहीं हुए थे।

यूके की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी के अनुसार, गंध या स्वाद का खत्म हो जाना, डेल्टा वेरिएंट की तुलना में ओमिक्रोन में बिल्कुल कम देखे जा रहे हैं।

जोहान लुंडस्ट्रॉम जिन्होंने करोलिंस्का संस्थान में शोध का नेतृत्व किया के अनुसार, हालांकि अभी तक ऐसा कोई विश्वसनीय डेटा नहीं है जो दर्शाता है कि ओमिक्रोम ओलफैक्टरी सिस्टम के लिए कम खतरनाक है। लुंडस्ट्रॉम ने कहा कि गंध की गंभीर कमी से  अवसाद भी हो सकता है और उनके साथ वजन बढ़ने की भी समस्या हो सकती है।

हालांकि लुंडस्ट्रॉम ने ये भी कहा कि जिनमें गंध कम होने की समस्या अभी भी देखी जा रही है, वो इसे 100% हासिल नहीं कर सकते हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश का उस स्तर पर स्मेल का सुधार हो जाएगा, जहां स्मेल न कर पाने की उनकी भावना की वजह उनके जीवन को प्रभावित नहीं करेगी।

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