केरल के सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के फैसले पर पुनर्विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। 22 जनवरी को खुली अदालत में सभी 48 याचिकाओं पर 5 जजों की पीठ सुनवाई करेगी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि 28 सितंबर के आदेश पर कोई रोक नहीं लगाई जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए केरल के सबरीमला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी थी। चार-एक के बहुमत से हुए फैसले में पांच जजों की संविधान पीठ ने साफ कहा कि हर उम्र वर्ग की महिलाएं अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी। फैसले में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश की सैंकड़ों साल पुरानी परंपरा को असंवैधानिक करार दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार के लिए 48 याचिका दाखिल की गई हैं, जिस पर सुनवाई के लिए कोर्ट तैयार हो गया है। पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस इंदू मल्होत्रा शामिल हैं। इससे पहले संविधान पीठ में शामिल चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा रिटायर हो चुके हैं।
नहीं मिला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश
सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फ़ैसले के बाद भी केरल के सबरीमला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को प्रवेश नहीं मिला। पिछले महीने प्रदर्शनकारियों के विरोध की वजह से महिलाएं मंदिर के अंदर नहीं जा सकीं। महिला श्रद्धालुओं को प्रदर्शनकारियों ने डराया, धमकाया और यहां तक कि कुछ जगहों पर महिलाओं को बस से घसीट कर निकाला।
लगातार हो रहा है विरोध
इस फैसले का दक्षिण पंथी कार्यकर्ता लगातार विरोध कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने सदियों से चली आ रही परंपरा के खिलाफ आए कोर्ट के फैसले को मानने से इंकार कर दिया है। याचिकार्ताओं का तर्क है कि आस्था को वैज्ञानिक ढंग द्वारा तय नहीं किया जा सकता है। उनका कहना है कि प्रजनन की उम्र वाली महिलाओं को इसलिए मंदिर में आने की इजाजत नहीं है क्योंकि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे।