केंद्रीय वित्त मंत्री पीयूष गोयल की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की 28वीं बैठक में महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं। एएनआई के मुताबिक, बैठक में शामिल दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि सैनिटरी नैपकिन को जीएसटी से बाहर रखने का फैसला लिया गया है। इससे पहले कारोबारियों के लिए जीएसटी रिटर्न नियम आसान करने पर सहमति बन गई है। अब जीएसटी रिटर्न भरने वाला फॉर्म सिर्फ एक पन्ने का होगा।
इसके अलावा पत्थर, मार्बल, राखी, लकड़ी की मूर्तियों पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा। 1000 तक के फुटवियर पर जीएसटी 5 फीसदी कम कर दिया गया है।
Sanitary napkins have been exempted from the current Goods and Service Tax (GST) regime along with some other products: Manish Sisodia, Delhi Finance Minister after attending the GST council meeting. pic.twitter.com/oT5tCchZki
— ANI (@ANI) July 21, 2018
वहीं, महीने में तीन बार रिटर्न के झंझट से भी मुक्ति मिल गई है। पांच करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वालों को जीएसटी हर महीने भरना होगा लेकिन रिटर्न तीन महीने में भरना होगा।
रोजमर्रा की इन चीजों पर कम हुआ जीएसटी
रोजमर्रा के इस्तेमाल से जुड़ी करीब 30 वस्तुओं के जीएसटी रेट में कटौती पर विचार किया गया। आयन बैटरी, वैक्यूम क्लीनर, फूड ग्राइंडर, मिक्सर, स्टोरेज वाटर, हीटर, हेड ड्रायर, हैंड ड्रायर, वार्निश, वॉटर कूलर, मिल्क कूलर, आइसक्रीम कूलर, परफ्यूम, टॉयलेट पेपर को 28 फीसदी टैक्स स्लैब से हटाकर 18 फीसदी टैक्स स्लैब में लाया गया।
इसके अलावा हैंडबैग, ज्वेलरी बॉक्स, ग्लास के आर्टवेयर, हैंडमेड लैंप को घटाकर 12 फीसदी टैक्स स्लैब में किया गया। आयातित यूरिया पर जीएसटी घटाकर 5 फीसदी और वॉशिंग मशीन को 28 फीसजदी स्लैब से घटाकर 18 फीसदी स्लैब में कर दिया गया है।
पीयूष गोयल ने कहा कि सरलीकरण हमारी प्राथमिकता है। जल्द ही ट्रांसपोर्टरों के लिए जीएसटी नेटवर्क के साथ RFID टैग को लिंक किया जाएगा। इससे ट्रांसपोर्टशन में जो परेशानी होती है, वह कम होगी। आज के निर्णय से 100 उत्पादों पर प्रभाव पड़ेगा।
उन्होंने बताया कि जो निर्णय आज लिए गए हैं, वे 27 जुलाई से लागू होंगे। उन्होंने बताया कि बैठक में 46 संशोधनों को मंजूरी दी गई, जिन्हें संसद में पास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म को 30 सितम्बर, 2019 तक के लिए रोक दिया गया है।
जीएसटी काउंसिल की अगली मीटिंग 4 अगस्त को दिल्ली में होगी। इसमें लघु, मध्यम और छोटे उद्योगों पर फोकस किया जाएगा।