मॉब लिंचिग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सख्त रूख अपनाते हुए आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि इन राज्यों ने अभी तक यह नहीं बताया कि गौरक्षा के नाम पर हो रहे उपद्रव और मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं तथा इन राज्यों से दो हफ्ते की भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश, दमन और दीव, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, तेलंगाना, दिल्ली, नागालैंड और मिजोरम से इस मामले में जवाब मांगा है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इन राज्यों ने अभी तक यह नहीं बताया कि गौरक्षा के नाम पर हो रहे उपद्रव और मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए क्या कदम उठाये हैं। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी पूछा कि मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए जन जागरूकता की दिशा में क्यों कोई कदम नहीं उठाया गया है।
पहले भी कोर्ट मांग चुका है रिपोर्ट
सुनवाई के दौरान एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत को बताया कि कुछ हफ्तों में मॉब लिंचिंग और गौरक्षा के नाम पर हिंसा के खिलाफ टीवी और प्रिंट के जरिए से अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान से कानून-व्यवस्था संभालने में मदद मिलेगी और लोग जागरुक होंगे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया था कि वे भड़काऊ बयानबाजी, हेट स्पीच और अफवाहों आदि से निपटने के लिए उचित कदम उठाएं और स्टेटस रिपोर्ट सौंपें।