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SC ने केंद्र की वैक्सीनेशन पॉलिसी को बताया ‘मनमाना और तर्कहीन’, मांगा अब तक खरीदी गई वैक्सीन का पूरा हिसाब

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की टीकाकरण नीति की आलोचना करते हुए कहा है कि 18 से 44 साल के आयु वर्ग को मुफ्त टीका...
SC ने केंद्र की वैक्सीनेशन पॉलिसी को बताया ‘मनमाना और तर्कहीन’, मांगा अब  तक खरीदी गई वैक्सीन का पूरा हिसाब

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की टीकाकरण नीति की आलोचना करते हुए कहा है कि 18 से 44 साल के आयु वर्ग को मुफ्त टीका न देने का उसका निर्णय प्रथम दृष्ट्या ‘मनमाना और तर्कहीन’ है।  कोर्ट ने कहा है कि केंद्र ने 45 से अधिक उम्र के लोगों को मुफ्त टीका दिया लेकिन 18 से 44 आयु वर्ग के लोगों के लिए राज्य सरकार और निजी अस्पताल को खरीदने के लिए कहा। यह नीति तर्क की कसौटी पर खरी नहीं उतरती। कोर्ट ने सरकार की वैक्सीनेशन नीति पर कई सवाल उठाए हैं।  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वैक्सीनेशन के लिए आपने 35 हजार करोड़ का बजट रखा है, अब तक इसे कहां खर्च किया। कोर्ट ने केंद्र से वैक्सीन का हिसाब भी मांगा और ये भी पूछा कि ब्लैक फंगस इन्फेक्शन की दवा के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने सभी पहलुओं पर केंद्र और राज्यों से 2 हफ्ते में हलफनामा मांगा है। 30 जून को मामले लर अगली सुनवाई होगी।

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अवकाशकालीन खंडपीठ ने अपनी हालिया टिप्पणी में कहा है कि 45 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों को मुफ्त टीकाकरण और उससे नीचे की उम्र के लोगों के लिए भुगतान प्रणाली देने की केंद्र की नीति 'प्रथम दृष्टया मनमानी और तर्कहीन' है। खंडपीठ ने ग्रामीण लोगों के लिए वैक्सीन की कमी के संदर्भ में कई अन्य खामियों को चिह्नित करते हुए केंद्र से अपनी टीकाकरण नीति की समीक्षा करने और 31 दिसंबर 2021 तक टीकों की अनुमानित उपलब्धता का खाका पेश करने का निर्देश दिया है। खंडपीठ में न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट शामिल हैं।

खंडपीठ ने 31 मई को हुई सुनवाई में भी केंद्र सरकार की टीकाकरण नीति पर सवाल उठाए थे। आज उसी सुनवाई का लिखित आदेश आया है। कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि जिन लोगों का टीकाकरण होना है, उनमें से कितने प्रतिशत को अब तक टीका लग चुका है? पहली और दूसरी डोज़ पाने वालों की संख्या क्या है? कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पुतनिक पाने वालों की संख्या क्या है? शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का आंकड़ा क्या है?

कोर्ट ने यह भी जानना चाहा है कि बचे हुए लोगों के टीकाकरण पर केंद्र की क्या योजना है? सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा था कि उसकी तरफ से 18 से 44 साल के लोगों के लिए टीका न देने से नागरिकों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। राज्य उन्हें मुफ्त वैक्सीन दे रहे हैं.।इस पर कोर्ट ने राज्यों से जानकारी मांगी है कि क्या वह लोगों को मुफ्त टीका लगा रहे हैं?  इसके अलावा कोर्ट ने म्यूकोरमाइकोसिस के इलाज पर भी जवाब मांगा है। केंद्र से कहा है कि वह इस बारे में लिए गए कदम की जानकारी दे। 32 पन्ने के विस्तृत आदेश में कोर्ट ने सरकार की वैक्सीनेशन नीति पर कई सवाल उठाए हैं। यह भी कहा है कि केंद्र इस नीति को तय करने से जुड़े सभी दस्तावेज और फ़ाइल नोटिंग भी कोर्ट को सौंपे।

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