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आम्रपाली ग्रुप पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ग्राहकों को कैसे मिलेगा फायदा

आम्रपाली के प्रोजेक्ट्स में घर खरीदने वालों के लिए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी खुशखबरी दी है।...
आम्रपाली ग्रुप पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ग्राहकों को कैसे मिलेगा फायदा

आम्रपाली के प्रोजेक्ट्स में घर खरीदने वालों के लिए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी खुशखबरी दी है। माना जा रहा है कि आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद बरसों से अटका खरीदारों का घर अब जल्द ही उन्हें मिल जाएगा। लेकिन क्या ये सच है आइए जानते हैं, दरअसल ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि अब रुके हुए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को पूरा करने की जिम्मेदारी सरकारी कंस्ट्रक्शन कंपनी नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) को सौंप दी गई है। लेकिन क्या एनबीसीसी आम्रपाली के ग्राहकों को उनका घर दे पाएगी? क्योंकि इस अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए एनबीसीसी के पास फंड नहीं है। इस बात का खुलासा कंस्ट्रक्शन कंपनी ने खुद ही किया था। अब देखना ये है कि एनबीसीसी आम्रपाली की अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए पैसे (फंड) कैसे जुटाएगा? जाहिर है कि परियोजनाओं पर काम तभी शुरू होगा जब पैसों को इंतजाम हो सकेगा।

फंड के लिए ये तरीके अपनाए जा सकते हैं- 

- आम्रपाली ग्रुप की इस्तेमाल न होने वाली जमीनों को बेचकर।

- कंपनी के कैश डिपॉजिट को टेकओवर करके।

- घर खरीददीरों की बकाया राशि को जमा करके। 

एनबीसीसी के पास प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए नहीं है कोई डेडलाइन

सुप्रीम कोर्ट में घर खरीदारों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील एमएल लाहोटी ने कहा कि फिलहाल प्रोजेक्ट पूरा करने को लेकर फिलहाल एनबीसीसी के सामने कोई डेडलाइन नहीं है। पूरा फैसला सार्वजनिक होने पर ये बात और स्पष्ट हो जाएगी।  

42 हजार ग्राहकों को राहत

आम्रपाली ग्रुप को लेकर मंगलवार को दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले से करीब 42 हजार से ज्यादा होम बायर्स को राहत मिलती दिख रही है। आम्रपाली के हजारों बायर्स द्वारा फ्लैट के लिए रकम देने के बावजूद उन्हें फ्लैट नहीं मिला है। सालों से ये बायर्स फ्लैट के लिए चक्कर लगा रहे थे।  

सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया आम्रपाली ग्रुप की कंपनियों के रेरा रजिस्ट्रेशन

मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया और आम्रपाली ग्रुप की कंपनियों के रेरा रजिस्ट्रेशन भी रद्द कर दिए। कोर्ट ने आम्रपाली के सभी प्रोजेक्ट की लीज भी रद्द कर दीं। नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटीज ने लीज जारी की थीं। अदालत ने कहा कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को बकाया वसूली के लिए आम्रपाली ग्रुप की संपत्तियां बेचने का अधिकार नहीं है। दोनों अथॉरिटीज को यह निर्देश भी दिया कि आम्रपाली ग्रुप के प्रोजेक्ट्स में पहले से रह रहे ग्राहकों को कंप्लीशन सर्टिफिकेट दिए जाएं।

जानें क्या है रेरा रजिस्ट्रेशन

बिल्‍डर्स की नकेल कसने और होम बायर्स को उनके घर दिलाने के लिए मोदी सरकार ने आज से ठीक तीन साल पहले 25 मार्च 2016 को रियल एस्‍टेट रेग्‍युलेटशन एक्‍ट (रेरा) तैयार किया। तत्कालीन राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस एक्ट को स्‍वीकृति दी थी।  

10 मार्च 2016: राज्‍यसभा ने रियल एस्‍टेट रेग्‍युलेशन बिल को मंजूरी दी।

15 मार्च 2016: लोकसभा से भी बिल पास हो गया।

25 मार्च 2016: राष्‍ट्रपति ने एक्‍ट को मंजूरी दी।

26 मार्च 2016: एक्‍ट की अधिसूचना जारी की गई

1 मार्च 2016: सेक्‍शन 2, 20 से 39, 41 से 58, 71 से 78 और 81 से 92 नोटिफाई किए गए।

1 मार्च 2017: शेष सभी सेक्‍शन नोटिफाई के साथ ही एक्‍ट लागू हो गया।

एनबीसीसी के बारे में जानें

नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन (एनबीसीसी) भारत सरकार का नवरत्न उद्‌यम है। भारत और विदेशों में फैले संचालन के साथ, कंपनी तीन बाजार केंद्रित क्षेत्रों में वर्गीकृत है: पीएमसी (परियोजना प्रबंधन परामर्श), ईपीसी (इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन) और आरई (रियल एस्टेट)।

1960 में भारत सरकार के सिविल इंजीनियरिंग उद्यम के रूप में स्थापित, एनबीसीसी का मुख्यालय दिल्ली में है। यह अपनी क्षमताओं, अभिनव दृष्टिकोण, गुणवत्ता के उच्चतम मानक का पालन, समय पर सुपुर्दगी और एक समर्पित कार्यबल के कारण निर्माण क्षेत्र में निर्विवाद लीडर के रूप में उभरा है।

अधूरे प्रोजेक्ट्स को पूरा करेगा एनबीसीसी बिल्डर

एनबीसीसी बिल्डर के अधूरे प्रोजेक्ट्स को पूरा करने का काम करेगी। एनबीसीसी ये सुनिश्च‍ित करेगी कि ये अधूरे प्रोजेक्ट्स जल्द पूरे हों और घर खरीदारों को सौंप दिए जाएं। एनबीसीसी की भूमिका इस मामले में प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट के तौर पर रहेगी।

42000 खरीदार प्रभावित

आम्रपाली और अन्य बिल्डरों की लापरवाही से जिस तरह से खरीदार सालों बाद भी अपने फ्लैट्स नहीं पा सके हैं और अपने पैसे डूबते देख रहे हैं वह किसी भयावह सपने से कम नहीं है। मेरा घर, मेरा अधिकार इस स्लोगन के साथ 2010 में जब आम्रपाली ग्रुप के चेयरमैन अनिल शर्मा सामने आए थे तो लोगों को लगा था कि वाजिब दाम में अपना घर पाने का उनका सपना पूरा हो जाएगा। लेकिन इन बीते सालों में जिसने भी आम्रपाली ग्रुप में निवेश किया वो आज भी अपने फ्लैट्स का इंतजार ही कर रहे हैं। इनकी संख्या अब 42,000 हो चुकी है।

आम्रपाली के मामले में समस्या सिर्फ यही नहीं है कि काम डेडलाइन पर पूरा नहीं हो सका है, बल्कि कंपनी के मालिकों पर फंड में गड़बड़ी करने का आरोप लगा है जिसके चलते वह आज जेल में हैं।

घर खरीदारों का कहना है कि उनकी चुनौतियां खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। जैसे बचे काम को पूरा करने के लिए फंड की व्यवस्था कहां से होगी, कौन सी कंपनी बचा हुआ काम पूरा कराएगी।

 

आम्रपाली ग्रुप के बारे में

 

एक समय सस्ते घरों के पोस्टर बॉय के रूप में जाने गए अनिल शर्मा का जिस तरह पतन हुआ वह कई लोगों के लिए चौंकाने वाला था। आईआईटी से पढ़ाई कर चुके अनिल शर्मा ने 2003 में नोएडा में एक प्रोजेक्ट से आम्रपाली की शुरुआत की थी। उस प्रोजेक्ट में कुल 107 फ्लैट थे। आने वाले सालों में उसने व्यावसायिक इमारत और अन्य परियोजनाएं बनाईं और जल्द ही वह अन्य बिल्डरों पर हावी हो गया। उसे बिल्डर्स कांग्लोमरेट, कंफेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई) का अध्यक्ष चुन लिया गया।

 

2009-10 में अनिल शर्मा ने आम्रपाली का पहला सस्ता हाउसिंग प्रोजेक्ट लॉन्च किया। इसका नाम रखा एक्जॉटिका जो नोएडा सेक्टर 50 में था और उसमें 150 फ्लैट्स थे। धीरे-धीरे आम्रपाली ने पूरे देश में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए 25 प्रोजेक्ट पूरे किए और अन्य 50 पर काम चल रहा है। आम्रपाली ने नोएडा, जयपुर और लखनऊ जैसे बड़े शहरों में अपनी धाक जमा ली।

 

2013 में आम्रपाली ने एफएमसीजी, हॉस्पिटैलिटी और मनोरंजन के क्षेत्र में कदम रखा। इसने उत्तर प्रदेश के बरेली और झारखंड के देवघर में तीन सितारा होटलों की शुरुआत की। इसकी मनोरंजन शाखा आम्रपाली मीडिया विजन ने भी दो फिल्में, 'गांधी टू हिटलर' 2011 में और 'आई डोंट लव यू' 2013 में आई। बड़ी संख्या में घर खरीदने वालों और राजनीतिक रसूख के कारण आम्रपाली समूह भुगतान में हमेशा डिफाल्टर रहा। दोनों प्राधिकारों ने शीर्ष कोर्ट से कहा कि आम्रपाली पर उनका 5000 करोड़ रुपये बकाया है।

 

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