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सुप्रीम कोर्ट में बोले रामलला के वकील- अंदर नहीं थी कोई मूर्ति, 16 जनवरी 1949 तक की गई नमाज अदा

सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले पर आज यानी मंगलवार को पांचवें दिन सुनवाई...
सुप्रीम कोर्ट में बोले रामलला के वकील- अंदर नहीं थी कोई मूर्ति, 16 जनवरी 1949 तक की गई नमाज अदा

सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले पर आज यानी मंगलवार को पांचवें दिन सुनवाई जारी है। आज भी राम लला के वकील बहस जारी रखेंगे। राम लला विराजमान के लिए वरिष्ठ वकील के परासरन ने पीठ से कहा कि सुप्रीम कोर्ट को सभी मामलों में पूर्ण न्याय करना चाहिए।

राम लला के लिए एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह इस मुद्दे पर बहस करेंगे कि क्या उस जगह पर कोई मंदिर था जिस जगह पर मस्जिद बनाई गई। उन्होंने बताया कि वहां 16 जनवरी 1949 तक नमाज अदा की गई और अंदर कोई मूर्ति नहीं थी। अयोध्या मामले में गवाह हाशिम अंसारी ने कहा था कि अयोध्या हिंदुओं के लिए वैसे ही पवित्र है जैसे कि मुसलमानों के मक्का है।

 

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तीन न्यायाधीशों की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि विवादित स्थल पर मंदिर था। वैद्यनाथन ने आगे कहा कि हाई कोर्ट के न्यायाधीश एस यू खान ने अपने फैसले में कहा था कि मंदिर के अवशेषों पर मस्जिद का निर्माण किया गया।

रोजाना सुनवाई पर जताई गई थी आपत्ति

इससे पहले शुक्रवार को रामलला के वकील ने अपनी दलील अदालत के सामने रखी। इस दौरान एक पक्ष के वकील राजीव धवन ने रोजाना सुनवाई पर आपत्ति जताई थी, लेकिन शीर्ष अदालत का कहना है कि मामले की सुनवाई ऐसे ही जारी रहेगी। यानी हफ्ते में पांच दिन ये मामला सुना जाएगा।

6 अगस्त से रोजाना शुरू है मामले की सुनवाई

6 अगस्त से अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई है। रोजाना सुनवाई के तहत हफ्ते में तीन दिन मंगल-बुध-गुरुवार को मामला सुना जाता है, लेकिन गुरुवार को सर्वोच्च अदालत ने फैसला किया कि वह हफ्ते में पांच दिन इस मामले को सुनेगा यानि अगले हफ्ते से ये केस पांच दिन सुना जाएगा। सोमवार को ईद है इसलिए सुप्रीम कोर्ट बंद रहेगा, ऐसे में 13 अगस्त से लेकर 16 अगस्त तक मामले की सुनवाई होगी। इसके बाद हर हफ्ते सोमवार से शुक्रवार तक केस की सुनवाई होगी।

चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय पीठ कर रही है सुनवाई

6 अगस्त को शुरू हुई सुनवाई में अभी तक रामलला-निर्मोही अखाड़ा के वकील अपना पक्ष अदालत के सामने रख चुके हैं। सुनवाई के दौरान कई तरह के पौराणिक तथ्यों को अदालत के सामने रखा गया। अयोध्या विवाद की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय पीठ कर रही है। इस पीठ में जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. ए. नजीर भी शामिल हैं।

हाईकोर्ट ने विवादित जमीन को 3 हिस्सों में बांटने के लिए कहा था

2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या का 2.77 एकड़ का क्षेत्र तीन हिस्सों में समान बांट दिया जाए। पहला-सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा- निर्मोही अखाड़ा और तीसरा- रामलला विराजमान।

 

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