राफेल डील में कथित घोटाले को लेकर दाखिल की गई पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस दौरान सरकार और याचिकाकर्ता की ओर से लंबी बहस हुई और दोनों ने अपनी-अपनी दलीलें रखीं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखते हुए याचिकाकर्ता से सरकार की दलीलों पर दो सप्ताह में जवाब मांगा है।
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान पहले वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने अपनी बात रखी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की ओर से गलत दस्तावेज पेश किए हैं, जिस पर कार्रवाई होना जरूरी है। इन आरोपों का जवाब देते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल राव ने कहा कि याचिकाकर्ता चोरी के दस्तावेजों के चुनिंदा हिस्सों को रख रहे हैं और इसके पीछे कोर्ट को गुमराह करने की नीयत है। याचिकाकर्ता से पूछा जाना चाहिए, उनको कागज कहां से मिले। जो सौदा किया गया, वो देश के लिए बहुत जरूरी था। हम सबकी सुरक्षा के लिए इसे किया गया।
अवमानना की कार्रवाई बंद करने की मांग
वहीं, पुनर्विचार याचिका के साथ ही राहुल गांधी के मामले पर भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मीनाक्षी लेखी के वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत से अपील की है कि राहुल गांधी की माफी को नकारा जाए और उन पर कार्रवाई की जाए। रोहतगी ने कहा कि राहुल गांधी अपनी टिप्पणी के लिए सार्वजनिक तौर से माफी मांगे। इस पर राहुल की तरफ से पेश हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वह पहले ही इस पर बिना शर्त माफी मांग चुके हैं और उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्रवाई अब बंद कर दी जाए।
बता दें कि राहुल गांधी ने 'चौकीदार चोर है' के नारे के साथ सुप्रीम कोर्ट के नाम का इस्तेमाल किया था। जिस पर मीनाक्षी लेखी ने याचिका दायर की थी।
क्या है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने राफेल पर सरकार को क्लीन चिट देते हुए इस डील की जांच के आदेश देने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण ने इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की। याचिकाकर्ताओं ने भी सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल कर सीएजी की रिपोर्ट पर सवाल उठाया है। पुनर्विचार याचिकाओं पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसने राफेल लड़ाकू विमान की खरीद के मामले में कोई गलत जानकारी अदालत को नहीं दी है। केंद्र सरकार ने राफेल के लीक हुए दस्तावेजों को खारिज करने की मांग की थी।