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राफेल पर सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका, कीमत सार्वजनिक करने की मांग

फ्रांस के साथ हुए राफेल विमानों के सौदे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल गई है। इस याचिका पर...
राफेल पर सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका, कीमत सार्वजनिक करने की मांग

फ्रांस के साथ हुए राफेल विमानों के सौदे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल गई है। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 10 अक्टूबर को सुनवाई करेगा। इस याचिका में राफेल विमानों की कीमत को लेकर सवाल पूछा गया है। याचिकाकर्ता ने सरकार से राफेल विमानों की असली कीमत जानने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

वकील विनीत ढांडा ने याचिका दायर करते हुए मांग की है कि फ्रांस और भारत के बीच आखिर क्या समझौता हुआ है उसे सार्वजनिक किया जाए। इसके अलावा मांग की गई है कि राफेल की वास्तविक कीमत भी सभी को बताया जाए।

 

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ की पीठ अधिवक्ता विनीत धांडा की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इससे पहले 5 सितंबर को उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। जिसमें इस सौदे पर रोक लगाने के लिए कहा गया था।

 

अधिवक्ता एम एल शर्मा की दलीलों पर गौर करते हुए न्यायालय की पीठ ने उनकी अर्जी तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर लिया था। शर्मा ने अपनी अर्जी में फ्रांस के साथ लड़ाकू विमान सौदे में विसंगतियों का आरोप लगाते हुए उसपर रोक की मांग की थी।

राफेल विमान की कीमतों को लेकर राहुल ने किए सवाल

गौरतलब है कि सरकार इस पर पहले ही अपना रुख स्पष्ट कर चुकी है। बीते संसदीय सत्र में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान भाषण करते हुए जब कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल विमान की कमतों को लेकर बड़े सवाल खड़े किए थे। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने राफेल वीमानों की कीमतों को सार्वजनिक करने में दोनों देशों की गोपनीयता का हवाला देकर इसे जाहिर नहीं किया था।

रक्षामंत्री के दावों को सीतारमण ने किया खारिज

इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात का हवाला देकर निर्मला सीतारमण के दावों को खारिज किया था। लेकिन इसके बाद दोनों देशों की ओर से एक बयान जारी कर के राफेल डील को लेकर गोपनीयता का हवाला दिया गया।

फ्रांस्वा ओलांद के बयान ने बढ़ा दी थी मुश्किलें

इसके बाद राफेल डील के वक्त के फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने यह कहकर मामले का तूल दे दिया कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डील के लिए केवल एक ही कंपनी का नाम सुझाया था। यह कंपनी अनिल अंबानी की थी।

विपक्ष का आरोप

विपक्ष का आरोप है कि केंद्र सरकार ने जानबूझकर राफेल विमानों का सौदा अधिक पैसों में किया और फिर उसे बनाने की जिम्मेदारी अपने खास अनिल कंपनी को दिया। इसी मामले को आगे बढ़ाते हुए वकील विनीत ढांडा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है और राफेल विमानों की असल कीमत बताने की मांग की है।

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