मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। साथ ही प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को सख्त हिदायत दी है कि बच्चियों की तस्वीर किसी भी तरह रूपांतरित करके नहीं दिखाई जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया को कहा कि बच्चियों की तस्वीर किसी भी तरह रूपांतरित या ब्लर करके नहीं दिखाई जानी चाहिए। न ही किसी भी पीड़ित बच्ची का इंटरव्यू किया जाना चाहिए। कोर्ट ने इस मामले में एडवोकेट अपर्णा भट्ट को एमिकस क्यूरी के तौर पर नियुक्त किया है तथा मामले को उजागर करने वाले टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज को पूरी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।
शेल्टर होम मामले को लेकर राजनैतिक घमासान मचा हुआ है। इस मामले पर बिहार में वामपंथी दलों ने बंद बुलाया है जिसे राजद और अन्य दलों ने समर्थन दिया है। वामदल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। इससे पहले पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद इस घटना के विरोध में साइकल रैली भी निकाल चुकी है।
मामले में बीते 31 मई को ब्रजेश ठाकुर सहित 11 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है। आरोप है कि बिहार सरकार द्वारा वित्त पोषित एनजीओ के प्रमुख ब्रजेश ठाकुर ने आश्रय गृह की करीब 34 लड़कियों से कथित तौर पर बलात्कार किया। मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की ओर से अप्रैल में बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग को एक रिपोर्ट सौंपी गई थी जिसमें पहली बार इस आश्रय गृह में रह रही लड़कियों से कथित रेप की बात सामने आई थी।