कोरोना वायरस गुरुवार को एक बार फिर दुनियाभर के शेयर बाजारों पर भारी साबित हुआ। बुधवार को अमेरिकी बाजारों के करीब पांच फीसदी लुढ़कने के बाद गुरुवार को एशिया और यूरोप के सभी बाजारों में बड़ी गिरावट देखने को मिली। दिनभर का गिरावट वाला कारोबार अंत तक जारी रहा। बीएसई का 30 शेयरों वाला सूचकांक सेंसेक्स 2,919.26 (8.18%) अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ। वहीं, 50 शेयरों वाला सूचकांक निफ्टी 868.25 (8.30%) अंकों की गिरावट के साथ 9,590.15 के स्तर पर बंद हुआ।
कारोबार बंद होने से थोड़ी देर पहले सेंसेक्स 2,978.73 (8.34%) अंक गिरकर 32,718.67 तक पहुंच गया था। वहीं, एनएसई का निफ्टी इंडेक्स भी 881.70 (8.43%) अंकों की गिरावट के साथ 9,576.70 के स्तर पर कारोबार करते दिखा। सेंसेक्स के सभी शेयरों में गिरावट देखने को मिली। डॉलर के मुकाबले रुपया 61 पैसे की गिरावट के बाद 74.25 के स्तर पर खुला। पिछले कारोबारी दिन एक डॉलर 73.64 रुपये पर बंद हुआ था।
गुरुवार को प्री-ओपनिंग में भारी गिरावट देखने को मिली। 9.20 बजे सेंसेक्स 1700 अंक नीचे 34,085 पर रहा, वहीं निफ्टी में 486 अंकों की गिरावट रही और यह 9964 पर रहा। इससे पहले अमेरिका और जापान के बाजार भारी गिरावट के साथ बंद हुए। 9.33 बजे सेंसेक्स 1648 अंक नीचे 34,050 पर रहा, वहीं निफ्टी 500 अंक गिरकर 9966 पर आ गया। 11.00 बजे गिरावट बढ़कर 2400 से ज्यादा हो गई। सेंसेक्स 2417 की गिरावट के साथ 33,263 पर रहा, वहीं निफ्टी में 731 अंकों की गिरावट के साथ 9726 पर रहा।
ब्रिटेन को छोड़ बाकी यूरोपवासियों पर ट्रंप ने लगाया प्रतिबंध
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा कोरोना वायरस को महामारी घोषित करने के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोप से अमेरिका आने वालों पर प्रतिबंध लगा दिया। राष्ट्र के नाम संबोधन में उन्होंने कहा कि यह प्रतिबंध 30 दिनों के लिए रहेगा। हालांकि ब्रिटेन को इससे अलग रखा गया है। इससे अर्थव्यवस्था के मंदी की चपेट में आने का खतरा बन गया है। इसी वजह से कच्चे तेल के दामों में भी फिर गिरावट आई है। दुनियाभर में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 1.24 लाख हो चुकी है और करीब 4,500 लोगों की जान जा चुकी है। चीन के बाद सबसे ज्यादा मौतें ईरान और इटली में हुई हैं।
पूरी दुनिया के शेयर बाजारों में गिरावट
अमेरिका का डाउ जोंस इंडेक्स हाल की ऊंचाई से 20 फीसदी गिर चुका है। गुरुवार को ऑस्ट्रेलिया का सिडनी स्टॉक एक्सचेंज 7.4 फीसदी नीचे आ गया, जो 2008 के आर्थिक संकट के बाद सबसे बड़ा है। टोक्यो एक्सचेंज में 4.4 और हांगकांग के हैंगसेंग में 3.5 फीसदी की गिरावट रही। सियोल, सिंगापुर और जकार्ता के बाजार भी तीन फीसदी से अधिक टूट गए। मनीला के शेयर बाजार का इंडेक्स छह फीसदी, वेलिंगटन का पांच फीसदी और ताइपे का 4.3 फीसदी नीचे आ गया।