पुलवामा आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पांच अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा और सुविधाएं वापस लेने का फैसला किया है। आपको यह जानकारी हैरानी होगी कि इन अलगाववादियों को सरकार की ओर से न केवल सुरक्षा मुहैया कराई जा रही थी बल्कि होटल से लेकर गाड़ी के डीजल तक का खर्चा यह सरकार से लेते रहे हैं। यानी इन अलगाववादियों को केंद्र और जम्मू-कश्मीर की सरकारों की तरफ से हर तरह की सुविधा मुहैया कराई जा रही थी। इसके अलावा यह अलगाववादी महंगी गाड़ियों में घूम रहे हैं और फाइव स्टार श्रेणी के अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं।
आइए जानते हैं कि सरकार ने इन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर कितना खर्चा किया और क्या सुविधाएं इन्हें मिल रही थीं।
होटल की मिलती है सुविधा
अलगाववादियों के होटल बिल पर राज्य सरकार हर साल औसतन करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। इनके लिए अकेले कश्मीर घाटी में ही 500 होटल के कमरे रखे जाते हैं। दलील दी जाती है कि उनकी सुरक्षा के लिए ये जरूरी है।
मुफ्त डीजल में करते हैं सैर सपाटा
इसके अलावा कश्मीर के अलगाववादियों के लिए गाड़ियों के डीजल के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए। हर साल औसतन 5 करोड़ रुपये से ज्यादा का डीजल खर्च कर रहे हैं।
सुरक्षा पर खर्च हुए 10 करोड़ से ज्यादा
पिछले साल जम्मू-कश्मीर विधानसभा में फरवरी में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया कि अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर सालाना 10.88 करोड़ रुपये खर्च किए गए। यह राज्य में कई तरह की वीवीआईपी सुरक्षा पर खर्च होने वाले बजट का करीब 10 प्रतिशत है।
इनके पास है सुरक्षा कवच
अलगाववादी नेता मीरवाइज मौलवी उमर फारूक की जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा है। उसकी सुरक्षा में डीएसपी रैंक के अधिकारी हैं। मीरवाइज के पास अपनी निजी बुलेट प्रूफ एंबेसडर कार है। उन्हें इस बुलेट प्रूफ कार की अनुमति केंद्रीय गृहमंत्रालय ने ही दे रखी है। जिन अलगाववादियों को सुरक्षा कवच मिला हुआ है उनमें सज्जाद लोन, बिलाल लोन और उनकी बहन शबनम, आगा हसन, अब्दुल गनी बट्ट और मौलाना अब्बास अंसारी प्रमुख हैं।
पांच संदिग्ध की ली गई सुरक्षा वापस
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के साथ संदिग्ध तौर पर संपर्क रखने वाले कश्मीरी अलगाववादी नेताओं को मिली सुरक्षा की समीक्षा की, जिसके बाद ये फैसला किया गया। सरकार के फैसले के बाद अलगाववादी नेता मीरवाइज फारूक, अब्दुल गनी भट, बिलाल लोन, हाशिम कुरैशी और शब्बीर शाह की सुरक्षा और सुविधा वापस ली गई हैं।
गृहमंत्री ने दिए थे संकेत
पुलवामा हमले के बाद इन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस लेने की मांग उठी थी। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 15 फरवरी को ही कहा था कि इन नेताओं की सुरक्षा वापस ली जाएगी। उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में कुछ तत्वों का आईएसआई और आतंकी संगठनों से नाता है, इनकी सुरक्षा की समीक्षा होनी चाहिए।
14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जानकारी ली थी। जैश ने एक वीडियो जारी कर कहा था कि आतंकी आदिल डार ने इस हमले को अंजाम दिया था। आरोप है कि जैश का सरगना मौलाना मसूद अजहर पाकिस्तान सरकार की सरपरस्ती में आतंकी घटनाओं को अंजाम देता है।