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लोकपाल के मुद्दे पर अन्ना हजारे ने एक बार फिर शुरू की भूख हड़ताल

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार पर लोकपाल नियुक्त करने और राज्य में...
लोकपाल के मुद्दे पर अन्ना हजारे ने एक बार फिर शुरू की भूख हड़ताल

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार पर लोकपाल नियुक्त करने और राज्य में लोकायुक्त कानून बनाने का वादा पूरा नहीं करने का आरोप लगाते हुए बुधवार से अपने गांव रालेगण सिद्धि में भूख हड़ताल शुरू कर दी। 

अन्ना हजारे ने महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में अपने गांव रालेगण सिद्धी के पद्मावती मंदिर में सुबह पूजा की। इसके बाद उन्होंने छात्रों, युवाओं और किसानों के साथ यादवबाबा मंदिर तक यात्रा निकाली और फिर वहीं नज़दीक में भूख हड़ताल पर बैठ गए।

भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ने वाले अन्ना ने कहा कि वह महाराष्ट्र मंत्रिमंडल के उस फैसले का स्वागत करते हैं जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री के कार्यालय को लोकायुक्त के दायरे में लाने की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि यह हड़ताल तब तक जारी रहेगी जब तब सरकार सत्ता में आने से पहले किए गए अपने वादों जैसे लोकायुक्त क़ानून बनाने, लोकपाल नियुक्त किए जाने तथा किसानों के मुद्दे सुलझाने को पूरा नहीं कर देती।

इससे पहले महाराष्ट्र के मंत्री और सरकार तथा अन्ना हजारे के बीच दूत की भूमिका निभा रहे गिरीश महाजन ने मंगलवार को अन्ना से भूख हड़ताल को रद्द करने की अपील की थी। उन्होंने दावा किया था कि अन्ना की लगभग सभी मांगों को पूरा किया जा चुका है।

दिया था अल्टीमेटम

अन्ना हजारे ने मंगलवार को घोषणा करते हुए कहा था कि ये मेरा अनशन किसी व्यक्ति, पक्ष, पार्टी के विरुद्ध में नहीं है। समाज और देश की भलाई के लिए बार-बार मैं आंदोलन करता आया हूं। उसी तरह का यह आंदोलन है। उन्होंने कहा कि लोकपाल कानून बनकर 5 साल हो गया और नरेंद्र मोदी सरकार 5 साल बाद भी बार-बार बहानेबाजी करती है। उन्होंने सवाल किया कि नरेंद्र मोदी सरकार के दिल में अगर ये मुद्दा अहम होता तो क्या 5 साल लगना जरुरी था? 

पहली बार रामलीला मैदान में की थी भूख हड़ताल

अन्ना हजारे सिविल सोसायटी के सदस्यों का नेतृत्व करते हुए अप्रैल 2011 में पहली बार दिल्ली के रामलीला मैदान में अनिश्चतकालीन भूख हड़ताल पर बैठे थे। तब इस आंदोलन ने सरकार की नींद उड़ा दी थी। वहीं, उस समय आंदोलन में शामिल रहे कई चेहरे अब सियासत में आ चुके हैं। अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बन चुके हैं, किरण बेदी पुडुचेरी की राज्यपाल नियुक्त हो चुकी हैं और वीके सिंह केंद्रीय मंत्री हैं।

पिछले हफ्ते अन्ना हजारे ने कहा था कि अगर लोकपाल होता तो राफेल ‘घोटाला’ नहीं हुआ होता। उन्होंने कहा कि उन्हें लगता है कि देश पर ‘तानाशाही’ की तरफ जाने का ‘खतरा’ मंडरा रहा है।

लोकपाल विधेयक को 13 दिसंबर, 2013 को राज्यसभा में पेश किया गया था। चार दिन बाद 17 दिसंबर 2013 को यह विधेयक राज्यसभा से पास हो गया था। अगले दिन 18 दिसंबर, 2013 को ये विधेयक लोकसभा से भी पारित हो गया था लेकिन अभी तक लोकपाल नियुक्त नहीं हो पाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगी है रिपोर्ट

लोकपाल की नियुक्ति को लेकर पिछले गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 7 मार्च की तिथि तय की है। साथ ही शीर्ष कोर्ट ने सरकार से लोकपाल नियुक्ति के लिए किए गए प्रयासों की रिपोर्ट मांगी है।

कोर्ट  ने लोकपाल जांच समिति को ये भी निर्देश दिया है कि वह लोकपाल और उसके सदस्यों के नामों का चयन करने का काम फरवरी के अंत तक पूरा कर ले और चयन समिति के विचार के लिए नामों का एक पैनल बनाए। साथ ही केंद्र को सर्च कमेटी के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा मुहैया करने के लिए भी कहा है।

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