दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के सांसद इंजीनियर राशिद के खिलाफ आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले को सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश के पास वापस भेज दिया, ताकि आरोपियों की शिकायतों पर फैसला सुनाया जा सके।
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश विमल कुमार यादव मामले की सुनवाई कर रहे थे, जब विशेष न्यायाधीश ने जिला न्यायाधीश से अनुरोध किया था कि राशिद अब संसद सदस्य हैं और इस बात को ध्यान में रखते हुए मामले को सांसदों के मामलों की सुनवाई के लिए नामित अदालत में स्थानांतरित कर दिया जाए।
जिला न्यायाधीश ने गुरुवार को सभी आरोपियों और अभियोजन एजेंसी एनआईए की सहमति से मामले को विशेष न्यायाधीश के पास वापस भेज दिया। जिला न्यायाधीश ने यह आदेश तब पारित किया, जब उन्हें बताया गया कि अदालत के अधिकार क्षेत्र से संबंधित मामला फिलहाल दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित है।
विशेष अदालत 20 दिसंबर को मामले की सुनवाई कर सकती है और उच्च न्यायालय द्वारा अधिकार क्षेत्र के मुद्दे पर अंतिम आदेश पारित होने तक मामले की सुनवाई जारी रखेगी। इससे पहले, राशिद और एनआईए के वकील ने संयुक्त रूप से मामले को सुनवाई कर रही अदालत में ही रखने की मांग की थी।
एनआईए द्वारा दर्ज मामले के अलावा, विशेष न्यायाधीश ने संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले और राशिद की नियमित जमानत याचिका को सांसदों के लिए अदालत में स्थानांतरित करने की भी सिफारिश की थी। 2024 के लोकसभा चुनावों में बारामुल्ला निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए राशिद को 2019 से तिहाड़ जेल में रखा गया है, जब एनआईए ने उन्हें 2017 के आतंकी-फंडिंग मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया था।
एनआईए और ईडी द्वारा दर्ज किए गए दोनों मामलों में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख और 26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद, हिजबुल मुजाहिदीन के नेता सैयद सलाहुद्दीन और अन्य शामिल हैं। ईडी ने एनआईए की प्राथमिकी के आधार पर आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया, जिसमें उन पर "सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचने" और कश्मीर घाटी में परेशानी पैदा करने का आरोप लगाया गया था।