हालांकि स्मृति ईरानी ने इस मामले को लेकर गुरुवार को जिलाधिकारी अभिषेक सिंह को एक पत्र भी लिखा जिसमें उन्होंने इन सभी आरोपों से इनकार करते हुए उन्हें निष्पक्ष जांच करने के लिए कहा।
मीडिया से हुई बातचीत के दौरान सिंह ने बताया कि वह केवल एक भूमि के टुकड़े की जांच कर विवाद का निपटारा कर रहे हैं। जिसका एक हिस्सा मैनपुर ब्लॉक के कुचवाही प्राइमरी स्कूल के नाम पर दर्ज है और दूसरा किसी व्यक्ति के नाम पर, जो एक कंपनी को बेच दिया गया है।
शिकायतकर्ता स्कूल के हेडमास्टर जानकी प्रसाद तिवारी ने आरोप लगाया था कि उमरिया में स्मृति ईरानी के पति जुबिन फरदून ईरानी ने एक कंपनी के लिए 2016 में पांच एकड़ की जमीन खरीदी थी। तिवारी ने कहा कि इसके बाद नई जमीन खरीदते हुए कंपनी ने फेंसिंग करके स्कूल की जमीन पर भी कब्जा जमा लिया।
अभिषेक सिंह का कहना है, इससे पहले जमीन पर कब्जे को लेकर उन्हें कभी कोई शिकायत नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि स्कूल और अन्य मालिकों के बीच जमीन के सटीक आकार को लेकर स्पष्टता नहीं है, जिसकी वजह से यह विवाद का कारण बन गया है।
इस मामले को लेकर फर्म के डायरेक्टर अम्यत कुमार ने भी मीडिया को जारी किए गए एक बयान में बताया, स्कूल की न तो कोई जमीन खरीदी गई है और न ही किसी हिस्से पर कब्जा है। यह जमीन मई 2016 में राकेश शुक्ला और राजेश शुक्ला से खरीदी गई थी। फर्म के मुताबिक, राकेश और राजेश ने ही उस जमीन की सुरक्षा को देखते हुए टेंपरेरी फेंसिंग कराई है।
वहीं,मार्केज हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने यह भी कहा है कि इससे स्मृति ईरानी के पति जुबिन ईरानी का कोई लेना-देना नहीं है। वे फर्म के सिर्फ शेयर होल्डर हैं, डायरेक्टर नहीं।
इस तरह के कथित विवादों में घिरने के बाद स्मृति ईरानी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, हमें लगता है कि अगर इसमें कोई सच्चाई है, तो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और सांसद सरकार को तुरंत जांच की व्यवस्था करनी चाहिए।