देश के विभिन्न राज्यों में फंसे मजदूरों, छात्रों और पर्यटकों को ले जाने के लिए रेलवे जो श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चला रहा है, उसके लिए रेलवे राज्य सरकारों से पैसा भी वसूल रहा है। रेलवे के इस कदम पर राज्य सरकारों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है। इसे लेकर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। सीएम बघेल ने कहा है कि मजदूरों के लिए ट्रेन चलाने के लिए केंद्र सरकार को मानवीय आधार पर राज्यों से पैसा नहीं लेना चाहिए। ये गलत है, केंद्र को इसमें सहायता देनी चाहिए। इस बारे में उन्होंने शनिवार को रेल मंत्री को पत्र भी लिखा है। साथ ही उन्होंने राज्य के 1.17 लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए 28 ट्रेन चलाने की मांग की है। राज्य के यह मजदूर देश के 21 राज्यों और 4 केन्द्र शासित प्रदेशों में फंसे हैं।
बता दें कि पहली श्रमिक स्पेशल ट्रेन शुक्रवार की सुबह 4.50 बजे हैदराबाद से झारखंड के लिए रवाना हुई। इसमें करीब 1200 यात्री थे। बाकी ट्रेनें नासिक से लखनऊ, अलुवा से भुवनेश्वर, नासिक से भोपाल, जयपुर से पटना और कोटा से हटिया तक के लिए चलेंगी।
रेलवे राज्यों से वसूलेगा पैसा
रेलवे ने कहा है कि स्पेशल ट्रेन में सफर करने वाले प्रवासी यात्रियों को टिकट लेने की जरूरत नहीं है। कोविड-19 महामारी के कारण लागू देशव्यापी लॉकडाउन के कारण देशभर में जहां-तहां फंसे प्रवासी मजदूरों को ट्रेन से उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने का किराया रेलवे राज्य सरकारों से वसूलेगा। इसमें सफर करने के किराए में स्लीपर क्लास के टिकट मूल्य, 30 रुपये का सुपरफास्ट शुल्क और 20 रुपये भोजन-पानी के शामिल होंगे। रेलवे ने साफ किया है कि यात्रियों को अपने पास से कुछ भी खरीदने की जरूरत नहीं, उनके खर्च का वहन राज्य सरकारें करेंगी।
28 ट्रेनें चलाने की मांग
सीएम बघेल ने पत्र में लिखा है कि देश भर में पिछले कुछ दिनों में कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई तेज हो गई है। राज्य भी कोविड-19 का मुकाबला कर रहे हैं। इस समय छत्तीसगढ़ के प्रवासी मजदूर बड़ी संख्या में देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे हुए हैं। करीब 1.17 लाख से भी अधिक प्रवासी कामगार देश के 21 राज्यों और 4 केन्द्र शासित प्रदेशों में फंसे होने की जानकारी मिली है। उन्होंने मजदूरों की वापसी के लिए 28 ट्रेनें चलाने की मांग की है।