सुप्रीम कोर्ट ने जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में लिए जाने को चुनौती देने वाली उनकी पत्नी गीतांजलि जे अंगमो की एक याचिका पर केंद्र और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख से जवाब मांगा है। याचिका में वांगचुक की तत्काल रिहाई का अनुरोध किया गया है।
हालांकि, न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया की पीठ ने सोनम वांगचुक को हिरासत में लिए जाने के कारणों के बारे में उनकी पत्नी को जानकारी उपलब्ध कराने के संबंध में आदेश देने से इनकार कर दिया और मामले की सुनवाई 14 अक्टूबर तक स्थगित कर दी।
वांगचुक की पत्नी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि वांगचुक के पाकिस्तान-चीन लिंक का झूठा प्रचार इस गांधीवादी आंदोलन को बदनाम करने की साजिश है। सोनम वांगचुक और उनके सहयोगियों के खिलाफ एक झूठा और खतरनाक नैरेटिव फैलाया जा रहा है, जिससे उनके गांधीवादी आंदोलन को पाकिस्तान और चीन से जोड़कर बदनाम किया जा सके।
याचिका में कहा गया है कि ऐसी दुर्भावनापूर्ण अफवाहें लोकतांत्रिक असहमति को कलंकित करने का प्रयास है। याचिका में दावा किया गया है कि वास्तव में वांगचुक हमेशा राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए काम करते रहे हैं और भारतीय सेना की मदद के लिए ऊंचाई वाले इलाकों में शेल्टर जैसी नई-नई तकनीकें विकसित की हैं। ये गिरफ्तारी गैरकानूनी है, उन्हें डिटेंशन ऑर्डर की कॉपी नहीं दी गई है'। याचिका में यह भी कहा गया है कि अब तक न तो सोनम वांगचुक और न ही उनकी पत्नी को गिरफ्तारी आदेश या उसके आधार बताए गए हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 22(5) का उल्लंघन है।