कर्नाटक में अयोग्य ठहराए गए 17 विधायकों पर आज यानी बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दिया। अपने फैसले में कोर्ट ने स्पीकर द्वारा विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने को सही ठहराया है यानी कांग्रेस और जेडीएस के ये 17 विधायक अब अयोग्य साबित हो गए हैं। विधायकों की अयोग्यता को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों को राहत भी दी है, जिसके तहत सभी विधायक 5 दिसंबर को होने वाला चुनाव लड़ सकेंगे। बता दें कि विधायकों की अयोग्यता के बाद खाली 17 विधानसभा सीटों में से 15 सीटों पर 5 दिसंबर को उपचुनाव होने हैं।
इन विधायकों के बागी बनने के कारण ही कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस की सरकार गिर गई थी और बीजेपी के येदियुरप्पा को सरकार बनाने का मौका मिला था। हालांकि आज कोर्ट ने कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर के उस फैसले को रद्द कर दिया है जिसमें इन पर 2023 तक चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगा दी गई थी। इनमें से 14 विधायक कांग्रेस के हैं और तीन विधायक जेडीएस के हैं।
'उपचुनाव में जीतने पर ये विधायक मंत्री बन सकते हैं'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसका फैसला मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर आधारित है और यह अध्यक्ष के विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने संबंधी अधिकार में हस्तक्षेप नहीं करता। कोर्ट ने कहा कि उपचुनाव में जीतने पर ये विधायक मंत्री बन सकते हैं या सार्वजनिक कार्यालय का प्रभार संभाल सकते हैं।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि विधानसभा स्पीकर ये तय नहीं कर सकता है कि विधायक कब तक चुनाव नहीं लड़ सकता है। कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर पर तल्ख टिप्पणी की और कहा कि कभी-कभी स्पीकर एक अथॉरिटी जैसे काम करता है।
बता दें कि इससे पहले तीन न्यायाधीशों न्यायमूर्ति एन वी रमना, संजीव खन्ना और कृष्ण मुरारी की पीठ ने 25 अक्टूबर को इन अयोग्य विधायकों द्वारा दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
5 दिसंबर को 15 सीटों पर उपचुनाव
दरअसल, तत्कालीन मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी ने जुलाई में विश्वासमत से आगे कांग्रेस-जेडी(एस) गठबंधन के इन 17 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था। कुमारस्वामी ने विश्वास मत खोने के बाद इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद बी एस येदियुरप्पा के नेतृत्व में राज्य में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार का गठन हुआ था। विधायकों की अयोग्यता के बाद खाली 17 विधानसभा सीटों में से 15 सीटों पर 5 दिसंबर को उपचुनाव होने हैं। उम्मीदवारों को 11 नवंबर से 18 नवंबर के बीच अपना नामांकन पत्र दाखिल करना है। अयोग्य विधायकों ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से चुनाव आयोग से इन 15 सीटों के लिए विधानसभा उपचुनाव को स्थगित करने का निर्देश देने की मांग की है।
दलबदल कानून के आधार पर स्पीकर ने विधायकों को ठहराया था अयोग्य
स्पीकर ने जुलाई में दलबदल कानून के आधार पर विधायकों को अयोग्य ठहराया था। स्पीकर ने जब इन विधायकों को अयोग्य ठहराया था तो यह भी कहा था कि वो इस विधानसभा के कार्यकाल खत्म होने तक कोई चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। स्पीकर के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने अमान्य ठहरा दिया है।
स्पीकर के फैसले को विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में दी थी चुनौती
विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में स्पीकर के फैसले को चुनौती दी थी और अयोग्य ठहराने के फैसले को अमान्य करार देने का आग्रह किया था। वहीं, दूसरी तरफ जेडीएस और कांग्रेस भी अदालत में गई थीं कि अयोग्य करार देने के फैसले को कायम रखना चाहिए। इन सीटों पर 15 दिसंबर को उपचुनाव होने हैं। 224 सीटों वाली कर्नाटक विधानसभा में बीजेपी के पास 106 विधायक हैं।
अयोग्य घोषित विधायकों में 14 कांग्रेस और 3 जदयू के
अयोग्य घोषित विधायकों ने 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। जिन विधायकों को अयोग्य घोषित किया गया है, उनमें कांग्रेस के प्रताप गौडा पाटिल, बीसी पाटिल, शिवराम हैब्बर, एसटी सोमशेखर, ब्यराति बासवराज, आनंद सिंह, आर रोशन बेग, मुनिरत्ना, के सुधाकर, एमटीबी नागराज, श्रीमंत पाटिल, रमेश जार्किहोली, महेश कुमाताहल्ली और आर शंकर शामिल हैं। वहीं जदयू से एएच विश्वनाथ, गोपालैया और नारायण गौड़ा का नाम भी सूची में शामिल है।