सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला खाली करने को लेकर सोमवार को एक अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले खाली करने होंगे। कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि कोई शख्स एक बार मुख्यमंत्री का पद छोड़ देने के बाद आम आदमी के बराबर हो जाता है। शीर्ष अदालत के इस फैसले को यूपी सरकार के लिए झटका माना जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर अपना फैसला सुनाते हुए यूपी सरकार के बंगला मिलने संबंध्ाी कानून को रद्द कर दिया और कहा कि सेक्शन 4(3) यूपी मंत्री एक्ट के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री को स्थायी आवास देना असंवैधानिक है। यह कानून समानता के मौलिक अधिकार के खिलाफ और मनमाना है। शीर्ष अदालत ने आज लोक प्रहरी संस्था की याचिका पर यह फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया राज्य का कानून
कोर्ट ने यूपी मिनिस्टर सैलरी अलाउंट एंड मिसलेनियस प्रॉविजन एक्ट के उन प्रावधानों को रद्द कर दिया है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले में रहने का अधिकार दिया गया था। उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को ताउम्र सरकारी बंगला दिए जाने के प्रावधान ख्ात्म करने संबंध्ाी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।
दरअसल, लोक प्रहरी नामक संगठन द्वारा इस मसले को लेकर दायर याचिका पर पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया जा चुका था। बेंच ने कहा कि इसका असर विभिन्न राज्यों पर ही नहीं बल्कि केंद्रीय कानून पर भी पड़ेगा। इसे देखते हुए पीठ ने वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम को अमीकस क्यूरी नियुक्त करते हुए अदालत की मदद करने के लिए कहा था।
सीएम जब अपना पद छोड़ दे तो वह एक आम आदमी के बराबर है
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा, 'एक बार सीएम अपना पद छोड़ दे तो वह आम आदमी के बराबर है।' अदालत ने कहा, 'यूपी सरकार ने कानून में संशोधन कर जो व्यवस्था दी थी, वह असंवैधानिक है।'
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद जिन पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपने बंगले खाली करने होंगे, उनमें मुलायम सिंह यादव, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, BSP प्रमुख मायावती, राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह, पूर्व CM नारायण दत्त तिवारी और अखिलेश यादव शामिल हैं।
ताउम्र सरकारी बंगला दिए जाने का प्रावधान
गौरतलब है कि यूपी में पूर्व मुख्यमंत्रियों को ताउम्र सरकारी बंगला दिए जाने के प्रावधान को अगस्त, 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था और दो महीने के भीतर तमाम पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास खाली करने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश्ा सरकार के पूर्व मुख्यमंत्री आवास आवंटन नियम, 1997 के कानून को गलत बताने के साथ ही इन सभी से किराया भी वसूलने के आदेश दिया था लेकिन बाद में यूपी सरकार ने इसके लिए कानून बना दिया जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थ्ाी।