पीठ ने इस बीच केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से कहा कि अतिरिक्त हलफनामा दाखिल कर बताएं कि नोटबंदी के कारण पैदा मुश्किलों को आसान बनाने के लिए क्या कोई योजना और कदम उठाए गए। नोटबंदी के सरकार के आठ नवंबर के फैसले को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं में से एक की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि शीर्ष अदालत को मंगलवार से ही सुनवाई शुरू करनी चाहिए।
रोहतगी ने हालांकि उनकी इस बात का विरोध करते हुए कहा कि विभिन्न उच्च न्यायालयों में जाने वाले सभी याचिकाकर्ताओं को शीर्ष अदालत में आने दीजिए। शीर्ष अदालत दो दिसंबर को फैसला करेगी कि सुप्रीम कोर्ट इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगा या दिल्ली उच्च न्यायालय।
केंद्र ने हाल ही में विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित सभी याचिकाओं को या तो सुप्रीम कोर्ट या किसी एक उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किए जाने की मांग की है। केंद्र ने नोटबंदी पर गुरुवार को शीर्ष अदालत में हलफनामा दाखिल किया था। इसमें सरकार ने कहा है कि इस साहसिक कदम से आजादी के बाद से सड़ांध फैला रहा काला धन खत्म होगा जिसने समानांतर अर्थव्यवस्था का रूप लेकर गरीब और मध्यम वर्ग की कमर तोड़ दी है।
अपने हलफनामे में केंद्र ने यह भी कहा था कि इस फैसले पर पूर्ण गोपनीयता बरती गई थी और इससे महत्वाकांक्षी जनधन योजना के उचित क्रियान्वयन में मदद मिलेगी जिसके तहत गरीब लोगों के लिए करीब 22 करोड़ बैंक खोले गए हैं। इसमें आगे कहा गया है कि विमुद्रीकरण को रीयल एस्टेट सेक्टर पर लगाम के रूप में देखा गया है जहां कृत्रिम रूप से कीमतें बढ़ी थीं और इस वली सक गरीब तथा मध्यम वर्ग के लिए सस्ते मकानों की उपलब्धता कम हो गई थी।
क्रेडिट और डेबिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल एप तथा इ वालेट के जरिए अर्थव्यवस्था में डिजीटल भुगतान के चलन को बढ़ावा देने समेत विभिन्न उपायों की व्याख्या करते हुए केंद्र ने कहा कि पिछले दस दिन में इनके इस्तेमाल में करीब 300 फीसदी का इजाफा हुआ है। अपने हलफनामे में केंद्र ने इस कदम के बारे में बरती गयी गोपनीयता के विभिन्न कारण भी गिनाए जिसका ऐलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर की रात को आठ बजे के बाद किया था और फैसला उसी दिन आधी रात से लागू हो गया था।
शीर्ष अदालत ने 15 नवंबर को केंद्र को एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। इससे पूर्व , शीर्ष अदालत ने विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित याचिकाओं पर रोक लगाने का केंद्र का अनुरोध ठुकराते हुए कहा था कि लोगों को उच्च न्यायालयों से तत्काल राहत मिल सकती है। साथ ही अदालत ने केंद्र की अपील पर सभी उन याचिकाकर्ताओं से जवाब मांगा था जिन्होंने विभिन्न उच्च न्यायालयों में विमुद्रीकरण को चुनौती दी थी। केंद्र ने अपील की थी कि सभी याचिकाओं को शीर्ष अदालत या किसी एक उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया जाए। (एजेंसी)