2007 में समझौता एक्सप्रेस में हुए ब्लास्ट मामले में हरियाणा की पंचकूला की स्पेशल एनआईए कोर्ट ने बुधवार को सभी चार आरोपियों असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी को बरी कर दिया। वहीं, पाकिस्तान की महिला राहिला वकील की याचिका को खारिज कर दिया।
पानीपत के दीवाना स्टेशन के पास 12 साल पहले हुए ब्लास्ट में 68 लोगों की जान चली गई थी। मरने वालों में ज्यादातर पाकिस्तान के थे। एनआईए कोर्ट में ऐन वक्त पर उस वक्त फैसला टल गया जब ब्लास्ट मामले में अपने पिता को खोने वाली पाकिस्तानी महिला राहिला वकील ने एनआईए कोर्ट में अर्जी दी थी। एडवोकेट मोमिन मलिक के जरिए अर्जी दाखिल कर राहिला ने मामले में गवाही देने की अनुमति मांगी थी। 18 मार्च की सुनवाई में एनआईए कोर्ट में दोनों पक्षों के वकीलों ने अपना-अपना पक्ष रखा था। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए राहिला वकील की अर्जी को खारिज करते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया।
असीमानंद को बनाया गया था मुख्य आरोपी
मामले में स्वामी असीमानंद को मुख्य आरोपी बनाया गया है। स्वामी असीमानंद के साथ लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंद्र चौधरी शामिल हैं। पूरे मामले में कुल 8 आरोपी थे, जिनमें से 1 की मौत हो चुकी है, जबकि तीन भगोड़ा घोषित है। एनआईए ने 224 गवाह पेश किए थे जबकि बचाव पक्ष ने कोई भी गवाह पेश नहीं किया। ।
लाहौर जा रही थी समझौता एक्सप्रेस
समझौता एक्सप्रेस 18 फरवरी को दिल्ली से लाहौर जा रही थी। उस दिन पानीपत के दीवाना रेलवे स्टेशन के पास धमाका हुआ और दो बोगियों में आग लग गई थी। इसमें 68 लोगों की जान चली गई थी जिनमें, 33 वयस्क पुरुष, 19 वयस्क महिलाएं, 10 बच्चे और 6 बच्चियां शामिल थीं। पुलिस को मौके से दो सूटकेस बम भी मिले थे जो फट नहीं पाए थे।
इंदौर से गिरफ्तार हुए थे दो संदिग्ध
इस मामले में पहली गिरफ्तारी 15 मार्च 2007 को हुई थी। हरियाणा पुलिस ने इंदौर से दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया था। पुलिस सूटकेस के कवर के सहारे आरोपियों तक पहुंची थी। सूटकेस कवर इंदौर के एक बाजार से कुच दिन पहले ही खरीदे गए थे।
2011 में दायर हुई पहली चार्जशीट
एनआईए ने 26 जून 2011 को पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। पहली चार्जशीट में नाबा कुमार उर्फ स्वामी असीमानंद, सुनील जोशी, रामचंद्र कालसंग्रा, संदीप डांगे और लोकेश शर्मा का नाम था। आरोपियों पर आईपीसी की धारा (120 रीड विद 302) 120बी साजिश रचने के साथ 302 हत्या, 307 हत्या की कोशिश करना समेत, विस्फोटक पदार्थ लाने, रेलवे को हुए नुकसान को लेकर कई धाराएं लगाई गई। जबकि 2012 में कमल चौहान उर्फ बद्रीनारायण उर्फ विजय और अमित उर्फ अशोक उर्फ प्रिंस नाम के दो लोगों के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दायर किया गया था। चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि सभी आतंकवादी इस्लामिक आतंकवादी समूहों द्वारा हिंदू मंदिर स्थलों और कस्बों पर किए गए हमलों को लेकर उत्तेजित थे। हिंदू मंदिरों का बदला लेने के लिए आरोपियों ने मुस्लिम आबादी को निशाना बनाने की साजिश रची। जांच में स्पष्ट रूप से स्थापित किया गया कि समझौता एक्सप्रेस, मक्का मस्जिद, अजमेर शरीफ में हुए विस्फोटों को आरोपी व्यक्तियों ने आपराधिक साजिश के तहत अंजाम दिया था।