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तहव्वुर राणा प्रत्यर्पण : आतंक का अंत

आर्थिक राजधानी मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले के साजिशकर्ता 64 वर्षीय तहव्वुर राणा को 10 अप्रैल को...
तहव्वुर राणा प्रत्यर्पण : आतंक का अंत

आर्थिक राजधानी मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले के साजिशकर्ता 64 वर्षीय तहव्वुर राणा को 10 अप्रैल को अमेरिका से प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत लाया गया। राणा को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 18 दिन की एनआइए कस्टडी में भेज दिया। तहव्वुर राणा के तार मुंबई आतंकी हमले से जुड़े हैं। 26 नवंबर, 2008 को पाकिस्तान के 10 आतंकवादी भारी मात्रा में गोला-बारूद और हथियार लेकर समुद्र के रास्ते मुंबई में घुसे थे। उन्होंने मुंबई में नौ जगहों पर हमला किया था। उनमें छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल, ताज होटल, लियोपोल्ड कैफे, कामा हॉस्पिटल, नरीमन हाउस, मेट्रो सिनेमा, टाइम्स ऑफ इंडिया बिल्डिंग और सेंट जेवियर्स कॉलेज के पीछे वाली गली शामिल थी। इसके अलावा मुंबई के पोर्ट एरिया मझगांव और विले पार्ले में एक टैक्सी में भी विस्फोट हुआ था।

मुंबई पुलिस और सुरक्षा बलों ने 28 नवंबर की सुबह तक ताज होटल को छोड़कर सभी स्‍थलों को सुरक्षित कर लिया था। ताज होटल में छिपे आतंकियों को खत्म करने के लिए नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स (एनएसजी) की मदद लेनी पड़ी थी। एनएसजी ने 29 नवंबर को 'ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो' लॉन्च किया, जो ताज होटल में आतंकियों की मौत के साथ खत्म हुआ आतंकवादियों ने मुंबई में 72 घंटों तक दहशत का माहौल बनाए रखा था। इन हमलों में छह अमेरिकी नागरिकों समेत कुल 166 लोग मारे गए थे, 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने 60 घंटों तक पूरे मुल्क को सदमे में डाल रखा था। मुंबई पुलिस और एनएसजी कमांडो की कार्रवाई में नौ आतंकी मारे गए और एक आतंकी जिंदा पकड़ा गया। आतंकी का नाम था आमिर कसाब। उसको नवंबर 2012 में पुणे की येरवदा जेल में फांसी दे दी गई थी।

मुंबई हमले से पूरी दुनिया हिल गई थी। अमेरिका में हुए 9/11 के बाद यह बहुत बड़ी आतंकी घटना थी। अक्टूबर 2009 में अमेरिकी एजेंसी एफबीआइ ने डेविड हेडली और तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका के शिकागो में स्थित ओहारे अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया।

तहव्वुर राणा के गुनाहों की लंबी सूची है। आरोप हैं कि मुंबई हमले की सारी प्लानिंग उसकी नजरों के सामने हुई थी। उसने टारगेट की रेकी भी की थी। राणा पर तीन मुख्य आरोपों में मुकदमा चला। पहला आरोप था कि राणा ने डेनिश अखबार के दफ्तर पर आतंकी हमले में सहायता दी। दूसरा आरोप था कि राणा ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को सपोर्ट दिया। तीसरा आरोप लगाया गया कि राणा ने मुंबई हमले की साज‌िश रचने में मदद की। यह आरोप डेविड कोलमैन हेडली की गवाही के आधार पर लगे, जो मुंबई हमले में राणा के साथ मुख्य साजिशकर्ता था। राणा और डेविड हेडली बचपन के दोस्त थे। दोनों का परिवार रसूखदार था और दोनों ने पाकिस्तानी पंजाब के एक ही मिलिटरी कॉलेज से पढ़ाई की थी। यह अलग बात है कि हेडली ने मुख्य गवाह बनकर राणा को सलाखों के पीछे पहुंचाने में भूमिका निभाई।

तहव्वुर राणा ने मुंबई हमले की साजिश एक खास रणनीति के तहत रची थी। कनाडा में राणा के कई तरह के बिजनेस थे। उसका ध्यान इमिग्रेशन सर्विस और ट्रैवल एजेंसी पर था। 2006 में रिचर्ड हेडली ने उसे मुंबई में इमिग्रेशन फर्म शुरू करने की सलाह दी। इसी सिलसिले में दोनों कई बार मुंबई आए। राणा ने शिकागो में फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज नाम से एक कंसल्टेंसी फर्म की स्थापना की। राणा की कंपनी की एक ब्रांच मुंबई में भी थी। इसी कंपनी के जरिये राणा ने हेडली को पांच साल तक भारत का बिजनेस वीजा प्राप्त करने में मदद की। फिर हेडली से मुंबई में उन जगहों की रेकी करवाई जहां लश्कर के आतंकियों ने 26 नवंबर, 2008 को हमले किए थे।

हेडली ने अपनी गवाही में इसकी पुष्टि की है। हेडली ने कहा था कि उसने राणा को पूरे प्लान के बारे में बताया था। राणा की सलाह पर ही उसने अपना नाम बदला। डेविड हेडली 2006 से पहले तक दाऊद गिलानी के नाम से जाना जाता था। उसके पिता सैयद सलीम गिलानी पाकिस्तान के पेशेवर ब्रॉडकास्टर थे। 2005 में राणा और हेडली मुंबई में एक दूसरे के सम्पर्क में आए और उन्होंने मुंबई हमले की साजिश रचनी शुरू की। राणा भारत के कई हिस्सों में घूमा। राणा और हेडली ने फ‌िल्मकार महेश भट्ट के बेटे राहुल भट्ट को फ‌िल्मों में लॉन्च करने का ऑफर भी दिया था। हेडली और राहुल भट्ट ने साथ में लगभग एक हजार घंटे बिताए थे। यह दोस्ती तब टूटी जब मुंबई हमला हुआ और उसमें हेडली के शामिल होने की खबर बाहर आई।

हेडली की गवाही के आधार पर तहव्वुर राणा को 2013 में आतंकी संगठन लश्कर से रिश्ते रखने और डेनिश अखबार पर हमले की साजिश के आरोप में 14 साल जेल की सजा सुनाई गई थी। दिसंबर 2019 में भारत ने आधिकारिक तौर पर अमेरिका से तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की मांग उठाई। मई 2020 में अमेरिका में राणा के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद स्वास्थ्य कारणों से दक्षिण कैलिफोर्निया की टर्मिनल आईलैंड जेल से रिहाई दे दी गई। भारत सरकार ने इस फैसले का विरोध किया। भारत ने राणा के पहुंच से दूर हो जाने की आशंका के मद्देनजर प्रत्यर्पण और अंतरिम गिरफ्तारी की अपील को अमेरिकी प्रशासन के सामने बढ़ाया। उसके बाद राणा को फिर से लॉस एंजेलिस से जून 2020 में गिरफ्तार कर लिया गया।

मई 2023 में कैलिफोर्निया के एक जिला न्यायालय ने राणा को भारत प्रत्यर्पित किए जाने का फैसला दिया। अमेरिकी सरकार ने भी राणा के भारत प्रत्यर्पण को दोनों देशों के बीच की संधि के तहत वैध माना। राणा ने इस फैसले के खिलाफ अपील की, जिसे कैलिफोर्निया में स्थित संघीय अदालत ने खारिज कर दिया। राणा की अपील को सैन फ्रैंसिस्को नॉर्थ सर्किट की अपीली अदालत ने भी खारिज कर दिया और उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी। इसी के साथ तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को अमेरिका की सभी निचली अदालतों में मंजूरी मिली।

इस पूरे मामले में गौर करने वाली बात यह रही कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के नेतृत्व वाली सरकार ने भारत का साथ दिया। राणा ने जब अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली, तब भी बाइडन प्रशासन ने जल्द से जल्द उसकी याचिका खारिज करने की मांग की।

27 फरवरी 2025 को राणा ने एक समीक्षा याचिका दायर कर कहा कि भारत में उसे पाकिस्तानी मुस्लिम होने की वजह से प्रताड़ित किया जाएगा। उसने पार्किन्सन और किडनी की खराबी समेत कई और बीमारियों का हवाला दिया, लेकिन कोर्ट ने राणा की अपील खारिज कर दी। उसके बाद 10 अप्रैल को राणा को भारत लाया गया।

माना जा रहा है कि एनआइए द्वारा तहव्वुर राणा से की गई पूछताछ में निकले तथ्यों के आधार पर अमेरिकी जेल में बंद हेडली से भारत दोबारा पूछताछ कर सकता है। राणा फिलहाल एनआइए की जांच में सहयोग कर रहा है और उसकी सेहत पर निगरानी रखी जा रही है। ‌

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