सुप्रीम कोर्ट ने आपाराधिक मामलों की जांच में तेजी लाने के लिए प्रभावी कदम न उठाने को लेकर केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि आप अपना काम नहीं करते हैं लेकिन हमेशा न्याय में देरी के लिए न्यायपालिका की आलोचना करते हैं।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मदन बी लोकुर ने आपराधिक मामलों के तेजी से ट्रायल करने को लेकर पर्याप्त कदम न उठाने की कमी को लेकर केंद्र सरकार को फटकार लगाई। उन्होंने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी से कहा कि यह बहुत ही हैरानी वाली बात है। अपने लोगों (केंद्र सरकार) से कहें कि न्यायपालिका की आलोचना करना बंद करें क्योंकि वह अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं।
पहले भी नाराजगी जाहिर कर चुका है सुप्रीम कोर्ट
न्यायपालिका में जजों की कमी को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहले भी अपनी कड़ी नाराजगी जाहिर कर चुका है। देशभर में जजों की भर्ती की बेहद सुस्त रफ्तार पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और हाईकोर्ट से कहा था कि उनकी तरफ से इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों के बारे में बताएं। साथ ही चेतावनी दी थी कि अगर वे तेजी के साथ ऐसा नहीं करते हैं तो जजों की भर्ती प्रक्रिया सेट्रलाइज कर देंगे।
जजों की कमी अहम कारण
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने पदभार संभालते हुए कहा था कि देश में न्याय मिलने में होने वाली देरी का एक कारण जजों की कमी होना है। इसी वजह से मामले सालों-साल लंबित पड़े रहते हैं।
मौजूदा समय में देश में जिला और अधीनस्थ न्यायलय मिलाकर 18,400 अदालते हैं लेकिन इसके साथ ही चार हजार कोर्ट रूम की कमी है।