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विश्व रंग : कला, संस्कृति, साहित्य का संगम

पिछ्ले साल 14 से 20 नवम्बर तक मध्य प्रदेश के भोपाल में स्थित रवींद्रनाथ टैगोर यूनिवर्सिटी में विश्व रंग...
विश्व रंग : कला, संस्कृति, साहित्य का संगम

पिछ्ले साल 14 से 20 नवम्बर तक मध्य प्रदेश के भोपाल में स्थित रवींद्रनाथ टैगोर यूनिवर्सिटी में विश्व रंग महोत्सव का आयोजन किया गया। यह विश्व रंग महोत्सव का चौथा संस्करण था। बीते तीन वर्षों में विश्व रंग महोत्सव की यात्रा 12 देशों से शुरु होकर 50 देशों तक पहुंच गई है। विश्व रंग कला, संस्कृति, साहित्य का अनूठा समागम है। 

 

 

 

विश्व रंग महोत्सव 2022 में मध्य प्रदेश गवर्नर मंगुभाई पटेल, छत्तीसगढ़ गवर्नर अनुसुइया यूके, संस्कृति मंत्री मध्य प्रदेश उषा ठाकुर, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री मध्य प्रदेश ओम प्रकाश सखलेचा मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत कला महोत्सव से हुई।14 से 16 नवम्बर 2022 तक रवींद्रनाथ टैगोर यूनिवर्सिटी और रवींद्र भवन भोपाल में कला महोत्सव संपन्न हुआ। इसके बाद मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल के द्वारा मुख्य महोत्सव का शुभारंभ किया गया। इसमें 50 देशों से आए प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। 

 

विश्व रंग महोत्सव में कला प्रदर्शनी से लेकर फिल्म स्क्रीनिंग और विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसमें विशाल भारद्वाज, मनोज पाहवा,पपोन, शिल्पा राव, मैथिली ठाकुर, रसिका दुग्गल, अशनीर ग्रोवर, बिश्वपति सरकार जैसी लोकप्रिय हस्तियों ने भाग लिया। इस दौरान एक कवि सम्मेलन मुशायरे का भी आयोजन हुआ जिसमें आलोक श्रीवास्तव, शीन काफ निजाम, अजहर इकबाल जैसे चर्चित शायरों ने हिस्सा लिया और अपनी रचनाओं से सभी को मंत्रमुग्ध किया। 

 

 

विश्व रंग के निदेशक संतोष चौबे के अनुसार ‘विश्वरंग’ प्रारंभ से ही हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं को केंद्रीयता प्रदान करता रहा है। वास्तव में तो 2019 में जब विश्वरंग की शुरूआत हुई तो वह इस अवधरणा के साथ थी कि हिन्दी के सामने इस समय एक वैश्विक भाषा बनने की प्रबल संभावना बनी हुई है और यह आवश्यक है कि हिन्दी में काम करने वाले सभी लोग इस दिशा में अपने कदम बढ़ायें।

 

विश्व रंग महोत्सव का आयोजन करने वाले रबींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने भी पिछले तीन वर्षों में विश्वरंग के आयोजन के साथ-साथ कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं।विश्वविद्यालय में भाषा शिक्षण केंद्र, अनुवाद केंद्र, प्रवासी भारतीय साहित्य शोध केंद्र, टैगोर अंतरराष्ट्रीय साहित्य एवं कला केंद्र तथा प्राच्य भाषा केन्द्र की स्थापना की गई है, जिन्होंने पूरी गंभीरता के साथ अपने-अपने क्षेत्रों में काम शुरु कर दिया है।विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की स्थापना भी की गई है। भाषा शिक्षण केंद्र ने एक डिजिटल प्रायमर का निर्माण किया है, जिससे करीब एक करोड़ लोगों को हिंदी शिक्षण से जोड़ने का लक्ष्य है। 

 

विश्व रंग के प्रारंभ से ही प्रवासी भारतीय साहित्यकार उसका प्रमुख अंग रहे हैं। पहले विश्व रंग महोत्सव के आयोजन में अमेरिका से सुषम वेदी, अशोक शाह अनूप भार्गव, इंग्लैंड से दिव्या माथुर, तेजिंदर शर्मा, आस्ट्रेलिया से रेखा राजवंशी, रूस से लुडमिला खोखोलोवा कजाकिस्तान से देरीगा कोकोयेवा श्रीलंका, तिब्बत, नेपाल, बांग्लादेश, जर्मनी, इटली आदि देशों के लगभग पचास से अधिक साहित्यकार, कवि शामिल हुये थे। सबका एक ही आव्हान था- प्रेम और विश्व बंधुत्व।

 

विश्व रंग महोत्सव को भोपाल में तो लोकप्रियता हासिल हुई ही, इसके साथ साथ विभिन्न डिजिटल माध्यमों से भी तकरीबन 2 करोड़ लोगों तक विश्व रंग महोत्सव की खबरें और विभिन्न प्रस्तुति पहुंचीं। इस सफलता से विश्व रंग महोत्सव के आयोजक उत्साहित नजर आए। 

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