Advertisement

न्यायालय ने सुपरटेक से कहा, डूबो या मरो, पैसा वापस करो

उच्चतम न्यायालय ने जमीन जायदाद के विकास से जुड़ी सुपरटेक को आज कड़ा संदेश देते हुए उन निवेशकों का धन लौटाने को कहा जो लंबे समय से अपने सपनों के घर की प्रतीक्षा कर रहे हैं। न्यायालय ने कहा उसे इसकी चिंता नहीं है कि कंपनी डूबे या मरे, उसे निवेशकों का पैसा लौटाना होगा। न्यायालय के इस आदेश से उन परेशान मकान खरीदारों को राहत मिलेगी जो अपने सपने के घर के लिए लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं।
न्यायालय ने सुपरटेक से कहा, डूबो या मरो, पैसा वापस करो

 न्यायालय से जब यह कहा गया कि कुछ बिल्डरों ने कहा है कि उनके पास मकान खरीदारों को वापस करने के लिए कोष नहीं है, इस पर न्यायाधीश दीपक मिश्र और न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल ने कहा, आप (सुपरटेक) डूबो या मरो, हमें चिंता नहीं है। आपको मकान खरीदारों को धन लौटाना होगा। हम वित्तीय स्थिति को लेकर कतई परेशान नहीं हैं। शीर्ष अदालत ने सुपरेटक को 17 मकान खरीदारों को पांच जनवरी, 2015 से निवेश राशि का 10 प्रतिशत मासिक देने का निर्देश दिया और इसका भुगतान चार सप्ताह के भीतर करने को कहा। ये 17 मकान खरीदार न्यायालय में याचिकाएं दायर किए हुए हैं।

न्यायालय ने कहा कि रीयल इस्टेट कंपनी चार सप्ताह में बकाए का भुगतान करे जिसका समायोजन हो सकता है। साथ ही सुपरटेक से अगली सुनवाई की तारीख को इन 17 खरीदारों को किए गये भुगतान का चार्ट देने को कहा। सुपरटेक के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने कहा कि शीर्ष अदालत बैंक अधिकारी की तरह कदम नहीं उठा सकती और उसे समानता के सिद्धांत का पालन करना है।

उन्होंने कहा, सभी मकान खरीदार हमारे खिलाफ नहीं हैं और कुछ ने तो कंपनी का समर्थन किया तथा उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील की है। उन्होंने कहा, हमारे और यूनिटेक के मामले में फर्क है। उनके पास इमारत नहीं है जबकि हमारे पास इमारत है और हमारे पास जो कोष था उसे निवेश किया गया, उसका उपयोग ढांचा तैयार करने में किया गया।

वकील राजीव धवन ने कहा कि कुल 628 लोग कंपनी के पास आए, इसमें से 274 ने वैकल्पिक व्यवस्था की मांग की, 74 ने फिर से निवेश की बात की जबकि 108 ने पैसा वापस मांगा। इस पर पीठ ने पूछा कि आखिर सुपरटेक सभी निवेशकों का पैसा लौटा क्यों नहीं रही है। धवन ने कहा कि अदालत का आदेश था कि केवल जिन लोगों ने समय पर आवेदन किया, उन्हें धन वापस मिलेगा और उन्हें वापस किया जा रहा है।

मकान खरीदारों के अधिवक्ताओं ने सुपरटेक के दावे को खारिज करते हुए कहा कि उन्हें समय पर धन नहीं मिल रहा है। शीर्ष अदालत ने नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन (एनबीसीसी) से सुपरटेक के एमरेल्ड टावर्स की जांच करने के बाद 25 अक्टूबर तक अपनी रिपोर्ट देने को कहा। एनबीसीसी से यह पता लगाने को कहा गया है कि क्या दो 40 मंजिलों वाली इमारतें मंजूर योजना का उल्लंघन कर हरित क्षेत्र में बनाई गई। इससे पहले, 27 जुलाई को न्यायालय ने एनबीसीसी से ट्विन टावर जाने और कथित उल्लंघन को लेकर रिपोर्ट देने को कहा था। (एजेंसी)

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad