जब कानून की शिक्षा देने वाले को ही कानूनी मदद के लिए आंदोलन का सहारा लेना पड़े तो आम आदमी के लिए न्याय की उम्मीद करना बेमानी ही होगा। हां, केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा में कानून विभाग की डीन रह चुकी डाक्टर मोनिका को अपनी लड़ाई के लिए धऱने का रास्ता अपनाना पड़ा। करीब चार हफ्ते से धरने पर बैठने के बाद भी अभी तक किसी एजेंसी से उन्हें न्याय मिलने के आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं। लेकिन डाक्टर मोनिका ने अपना हक मिलने तक आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया है। वहीं, उपकुलपति ने मामले में कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार करते हुए कहा कि मामला अदालत में विचाराधीन है।
डाक्टर मोनिका का आरोप है कि उपकुलपति डाक्टर टंकेश्वर कुमार ने उनका उत्पीड़न किया। उपकुलपति टंकेवर जुलाई 2021 ने अपना यह पद संभाला था। मोनिका ने यूजीसी, राष्ट्रपति, शिक्षा मत्री, महिला आयोग समेत कई अफसरों से शिकायत की। उन्होंने पुलिस से भी शिकायत की लेकिन कोई नतीजा नही निकल पाया।
डाक्टर मोनिका का आरोप है कि उनके दफ्तर को डाक्टर टंकेश्कर ने खुलवाया। उनके निजी सामान तक को चोरी कर लिया गया। उनका कहना है कि डॉ मोनिका को लगातार ‘उनकी पदोन्नति में देरी’ के साथ-साथ विधि विभाग के पुराने संकाय सदस्य की पिछली सेवा को गिनकर पदोन्नति करने के लिए परेशान किया गया।
डॉ. मोनिका का कहना है कि सरकार के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ महज नारा बनकर रह गया है। वह एक जीवंत उदाहरण हैं, जहां एक महिला की मर्यादा और गरिमा की परवाह किए बिना उच्च पदों पर बैठे दोषियों को बचाने के लिए उनके हर प्रयास को दरकिनार कर दिया जाता है। उन्होंने मामले में निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की मांग की है।