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पीएम केयर्स फंड से खरीदे गए "आगवा" वेंटिलेटर में हेरा-फेरी ? मरीज का ज्यादा ऑक्सीजन बताती है मशीन

पीएम केयर्स फंड की तरफ से जो वेंटिलेटर खरीद कर अस्पतालों को दिए गए हैं, उन्हें लेकर मुंबई के प्रतिष्ठित...
पीएम केयर्स फंड से खरीदे गए

पीएम केयर्स फंड की तरफ से जो वेंटिलेटर खरीद कर अस्पतालों को दिए गए हैं, उन्हें लेकर मुंबई के प्रतिष्ठित जेजे हॉस्पिटल समेत अनेक अस्पतालों ने शिकायत की है। सबकी शिकायत यही है कि यह मशीन जितना बताती है, वास्तव में उतनी ऑक्सीजन मरीज को नहीं मिलती। अब पता चला है कि वेंटिलेटर बनाने वाली आगवा कंपनी ने सॉफ्टवेयर में हेरफेर किया है जिससे मरीज के फेफड़ों में कम ऑक्सीजन पहुंचने के बावजूद रीडिंग ज्यादा दिखती है। हफपोस्ट वेबसाइट ने कंपनी के ही दो पूर्व कर्मचारियों के हवाले से यह जानकारी दी है।
हालांकि कंपनी ने अपने पूर्व कर्मचारियों के दावे को गलत ठहराया है। हफपोस्ट को भेजे ईमेल में आगवा के संस्थापक दिवाकर वैश ने कहा कि इन वेंटिलेटर को कोई भी किसी भी समय जांच सकता है। कंपनी के अनुसार जेजे हॉस्पिटल को जो वेंटिलेटर मिले उन्हें कुछ दानकर्ताओं ने खरीद कर अस्पताल को दिया था। उनका इंस्टॉलेशन कंपनी के कर्मचारियों ने नहीं बल्कि थर्ड पार्टी ने किया था। वेंटिलेटर के लिए शुरू में ट्रेनिंग की जरूरत पड़ती है। डॉक्टरों ने शुरू में इनका ठीक से इस्तेमाल नहीं किया। कंपनी अब जेजे अस्पताल को नए मॉडल के वेंटिलेटर दे रही है। ये वही मॉडल हैं जो भारत सरकार को भेजे गए हैं।
जेजे और आरएमएल अस्पताल भी कर चुके हैं शिकायत
जेजे हॉस्पिटल के अलावा दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल ने भी आगवा वेंटिलेटर की परफॉर्मेंस पर सवाल उठाए थे। दोनों की रिपोर्ट में कहा गया कि यह वेंटिलेटर आईसीयू में गंभीर रूप से बीमार मरीजों की जरूरत पूरी नहीं कर सकते हैं। हफपोस्ट ने जेजे हॉस्पिटल की रिपोर्ट के हवाले से लिखा है कि एक अगवा वेंटिलेटर तो टेस्टिंग मशीन के साथ जोड़ने के 5 मिनट के भीतर ही फेल हो गया। इन वेंटिलेटर पर जिन मरीजों को दिया गया था, वे बहुत ज्यादा बेचैनी महसूस कर रहे थे, उन्हें सांस लेने में परेशानी आ रही थी और उन्हें पसीना भी बहुत आ रहा था।
आईसीयी ग्रेड के नहीं हैं ये वेंटिलेटर
पिछले महीने आरएमएल अस्पताल ने शुरू में आगवा वेंटिलेटर को रिजेक्ट कर दिया था। उसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने उन वेंटिलेटर को दोबारा जांच के लिए डॉक्टरों की अलग टीम के पास भेजा। दूसरी टीम ने उन वेंटिलेटर को पास तो कर दिया लेकिन साथ में यह भी कहा कि ये वेंटिलेटर आईसीयू ग्रेड के नहीं हैं और इन्हें वहीं इस्तेमाल किया जाना चाहिए जहां दूसरे बैकअप वेंटिलेटर उपलब्ध हों। गौरतलब है कि गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मुंबई समेत कई जगहों के डॉक्टर आगवा वेंटिलेटर को लेकर शिकायत कर चुके हैं।
केंद्र ने आगवा को 10,000 वेंटिलेटर का ऑर्डर दिया था
केंद्र सरकार ने इसी साल मार्च में आगवा हेल्थकेयर को 10000 वेंटिलेटर का ऑर्डर दिया था। अनेक जगहों पर डॉक्टरों ने यह कहकर इसका इस्तेमाल करने से मना कर दिया कि मशीन जब तक काम करना बंद कर देती है। अचानक अगर मशीन बंद हो जाए तो मरीज की मौत भी हो सकती है।

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