निर्भया गेंगरेप और हत्या मामले में तीन दोषियों ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) का दरवाजा खटखटाया है और फांसी की सजा पर रोक लगाने की मांग की है। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की मामले में कोई भूमिका नहीं है। आईसीजे में केवल दो या उससे अधिक देशों के विवाद का मामला सुना जाता है।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मामले में दोषी अक्षय, पवन और विनय ने आइसीजे का रुख किया है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने चौथे दोषी मुकेश सिंह की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने सभी कानूनी उपायों को बहाल करने की मांग करते हुए आरोप लगाया गया कि उनके पहले के वकीलों ने उसे गुमराह किया था। जस्टिस अरुण मिश्रा और एम आर शाह की पीठ ने मुकेश की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मामले में समीक्षा याचिका और क्यूरेटिव याचिका दोनों को खारिज कर दिया गया है।
लगाया आपराधिक साजिश का आरोप
दोषी मुकेश ने अदालतों द्वारा पारित सभी आदेशों और राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका की अस्वीकृति के फैसले को रद्द की मांग की थी। दोषी की ओर से दलील दी गई थी कि शीर्ष अदालत ने उसकी क्यूरेटिव याचिका इस आधार पर खारिज कर दी थी क्योंकि उसके पहले के वकील वृंदा ग्रोवर ने उसे गुमराह किया था। वकील एमएल शर्मा की ओर से दायर याचिका में केंद्र, दिल्ली सरकार और वकील वृंदा ग्रोवर पर आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की गई। याचिका में कहा गया कि मामले में एमिकस क्यूरी वृंदा ग्रोवर ने तमाम कानूनी उपचार खत्म कर दिए और मुकेश फांसी तक पहुंचा दिया।
उपराज्यपाल से लगाई थी गुहार
इससे पहले निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस में फांसी की सजा से बचने के लिए दोषियों ने दिल्ली के उपराज्यपाल से गुहार लगाई थी। दोषी विनय शर्मा ने अपने वकील एपी सिंह के जरिए दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल से फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की थी। एपी सिंह ने सीआरपीसी के सेक्शन 432 और 433 के तहत फांसी की सजा को निलंबित करने की मांग की।
20 मार्च को होनी है दोषियों को फांसी
बता दें कि निर्भया के चारों दोषियों को 20 मार्च को सुबह 5:30 बजे फांसी देने का कोर्ट ने आर्डर जारी किया है। इस कारण फांसी की तारीख नजदीक आते ही अब दोषी इससे बचने का हर रास्ता तलाश रहे हैं।