Advertisement

अनशन के दूसरे दिन बोले अन्ना हजारे- अब आंदोलन से नहीं निकलेगा नेता

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के अनिश्चितकालीन अनशन का आज दूसरा दिन है। 23 मार्च अपनी कुछ मांगों को...
अनशन के दूसरे दिन बोले अन्ना हजारे- अब आंदोलन से नहीं निकलेगा नेता

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के अनिश्चितकालीन अनशन का आज दूसरा दिन है। 23 मार्च अपनी कुछ मांगों को लेकर अन्ना सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।

अन्‍ना हजारे ने शनिवार को मंच से कहा कि आंदोलन से जुड़ने वाले लोगों के हस्ताक्षर स्‍टांप पेपर पर करा लिए गए  हैं, जिसमें लिखा है कि वो लोग किसी राजनीतिक दल में शामिल नहीं होंगे और न ही चुनाव में भाग लेंगे। देश की सेवा करेंगे और अच्‍छा चरित्र बनाकर रखेंगे।

अन्ना ने दिल्ली के रामलीला मैदान में शुक्रवार को अनिश्चितकालीन अनशन की शुरुआत करते हुए कहा कि उन्होंने मोदी सरकार को 43 पत्र लिखे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार से लोकपाल और कृषि संकट पर बातचीत करने के प्रयास का कोई नतीजा नहीं निकला।

राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद रामलीला मैदान में अनशन शुरू करने के तुरंत बाद उन्होंने कहा, देश के किसान संकट में हैं, क्योंकि उन्हें फसलों का उचित मूल्य नहीं मिल रहा है और सरकार उचित मूल्य तय करने की दिशा में कोई काम नहीं कर रही है।

अन्ना के अनशन का मकसद केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति, नए चुनाव सुधार और देश में कृषि संकट को हल करने के लिए स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने के लिए दबाव बनाना है। उन्होंने कहा कि वह सरकार के साथ आंदोलन के दौरान चर्चा करेंगे, लेकिन उनका अनिश्चितकालीन अनशन 'सत्याग्रह' सरकार की तरफ से कोई ठोस कार्ययोजना आने तक जारी रहेगा।

सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह और महाराष्ट्र के कुछ मंत्रियों ने गुरुवार को उनसे मुलाकात की और कुछ आश्वासन दिए। रामलीला मैदान में अपने हजारों समर्थकों को संबोधित करते हुए अन्ना ने कहा, लेकिन मैंने कहा, मैं आप (मंत्री) पर विश्वास नहीं करता। अब तक आपने कितने वादे पूरे किए हैं? एक भी नहीं। इसलिए ठोस कार्ययोजना के साथ आइए।

गौरतलब है कि अन्ना हजारे ने साल 2011 में अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया था, जिसने भारतीयों की भावनाओं को छुआ था।

अन्ना की 7 प्रमुख मांगें

- किसानों के कृषि उपज की लागत के आधार पर उससे डेढ़ गुना ज्यादा दाम मिले

- खेती पर निर्भर 60 साल से ऊपर उम्र वाले किसानों को प्रतिमाह 5 हजार रुपए पेंशन दी जाए

- लोकपाल कानून को कमजोर करने वाली धारा 44 और धारा 63 का संशोधन तुरंत रद्द हो

- हर राज्य में सक्षम लोकायुक्त नियुक्त किया जाए

- चुनाव सुधार के लिए सही निर्णय लिया जाए

- कृषि मूल्य आयोग को संवैधानिक दर्जा तथा सम्पूर्ण स्वायत्तता मिले

- लोकपाल विधेयक पारित हो और लोकपाल कानून तुरंत लागू किया जाए

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
  Close Ad