उन्नाव रेप मामले में भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सेंगर को दिल्ली की एक अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। विधायक सेंगर पर एक नाबालिग का अपहरण करने और उससे रेप करने का आरोप है।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी मामलों के लखनऊ स्थित कोर्ट से दिल्ली स्थित कोर्ट में ट्रांसफर करते हुए निर्देश दिया था कि रोजाना आधार पर सुनवाई की जाए और इसे 45 दिनों के अंदर पूरा किया जाए। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने सेंगर को अपरहण और रेप का दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा के साथ सेंगर को पीड़ित परिवार को पच्चीस लाख रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया था। मामले में पीड़िता का बयान दर्ज करने के लिए एम्स में विशेष अदालत लगाई गई थी।
सीबीआई ने की थी अधिकतम सजा की मांग
मामले की जांच कर रही सीबीआई ने बहस के दौरान कोर्ट से अधिकतम सजा की मांग की थी। 16 दिसंबर को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने सेंगर को धारा 376 और पॉक्सो के सेक्शन 6 के तहत दोषी ठहराया था और अगले दिन सजा पर बहस की गई थी। इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि वह इस मामले में जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं देना चाहता, क्योंकि उन्नाव रेप कांड जघन्य साजिश, हत्या और दुर्घटनाओं से भरा हुआ है। कोर्ट ने 20 दिसंबर को सेंगर को सजा सुनाई थी।
ये है मामला
भाजपा से निष्काषित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर वर्ष 2017 में कथित रूप से नाबालिग के साथ रेप का आरोप है। मुकदमे के सिलसिले में बीती 28 जुलाई को पीड़िता, उसके वकील व परिवार के अन्य सदस्य रायबरेली जा रहे थे। तभी उनकी कार को एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी। इसमें पीड़िता की चाची और मौसी की मृत्यु हो गई थी। पीड़िता व उसका वकील गंभीर रूप से जख्मी हुए थे। पीड़िता व उसके वकील को एम्स लाया गया था। पीड़िता ने सीबीआई के सामने हादसे के पीछे सेंगर का हाथ बताया था। सेंगर के सहयोगियों ने उसके पिता को कथित तौर पर प्रताड़ित किया था और अवैध आग्नेयास्त्र रखने के मामले में कथित तौर पर तीन अप्रैल, 2018 को फंसा दिया था। उनकी नौ अप्रैल, 2018 को न्यायिक हिरासत में मौत हो गई।