कोरोना वायरस मरीजों का ट्रैक करने वाले आरोग्य सेतु ऐप पर अब सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएन श्रीकृष्णा ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि सरकार का आरोग्य ऐप को अनिवार्य करना 'पूरी तरह से गैर-कानूनी' है। उन्होंने पूछा कि किस कानून के तहत इसे अनिवार्य किया गया है, अभी तक इसके लिए कोई कानून नहीं है।
द इंडियन एक्सप्रेस से एक बातचीत में उन्होंने यह सवाल उठाए हैं। जस्टिस श्रीकृष्णा डाटा प्रोटेक्शन बिल का पहला ड्राफ्ट बनाने वाली कमेटी के प्रमुख थे। उनका बयान ऐसे समय में आया है जब केंद्र ने सभी कर्मचारियों के लिए यह ऐप अनिवार्य कर दिया है।
गृहमंत्रालय ने जारी की हैं गाइडलाइंस
गृह मंत्रालय ने एक मई को लॉकडाउन की गाइडलाइंस जारी करते हुए सभी सरकारी और प्राइवेट कर्मचारियों के लिए आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करना अनिवार्य कर दिया था। इसके अलावा सरकार ने स्थानीय प्रशासन से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि कंटेनमेंट जोन में रहने वाले सभी लोग यह ऐप डाउनलोड करें। ये दिशा निर्देश राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन कानून (एनडीएमए) 2005 के तहत गठित राष्ट्रीय कार्यकारी समिति द्वारा जारी किए गए थे। इसके बाद नोएडा पुलिस ने आदेश जारी कर कहा था कि अगर किसी के स्मार्टफोन में ऐप नहीं होगी तो यह दंडनीय अपराध माना जाएगा। नोएडा पुलिस ने कहा कि आरोग्य सेतु ऐप नहीं होने परर छह महीने तक की कैद या 1,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है जिसके तहत आईपीसी की धारा 188 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।
दी जा सकती है अदालत में चुनौती
जस्टिस श्रीकृष्णा ने कहा कि नोएडा पुलिस का आदेश पूरी तरह अवैध है। भारत लोकतांत्रिक देश है और ऐसे आदेशों को अदालतों में चुनौती दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि़ आरोग्य सेतु के उपयोग को अनिवार्य बनाने के लिए गृह मंत्रालय दिशानिर्देशों को पर्याप्त कानूनी समर्थन नहीं माना जा सकता है।
उन्होंने कहा कि महामारी और आपदा कानून के तहत इसे एक विशिष्ट कारण से लागू किया गया है। मेरे विचार में राष्ट्रीय कार्यकारी समिति एक वैधानिक निकाय नहीं है। इस बीच केंद्र सरकार ने ऐप के इस्तेमाल करने वालों के लिए सोमवार को दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसमे कुछ नियमों का उल्लंघन करने पर जेल भी हो सकती है।
डाटा के भंडारण पर रोक
उन्होंने कहा कि नए नियमों के तहत 180 से अधिक के डाटा के भंडारण पर रोक लगाई गई है। इसके साथ ही इस्तेमाल करने वालों के लिए यह प्रावधान भी किया गया है कि वे आरोग्य सेतु से संबंधित जानकारियों को मिटाने का अनुरोध भी कर सकते हैं जो 30 दिनों में डाटा मिटाने का विकल्प देता है। जस्टिस श्रीकृष्णा ने कहा कि डाटा सुरक्षा के लिए प्रोटोकाल ही पर्याप्त नहीं है क्योंकि यह अंतर विभागीय सरकुलर की तरह ही है।
इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी आरोग्य सेतु ऐप को लेकर सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने कहा था कि इस ऐप से डाटा सुरक्षा और गोपनीयता संबंधी चिंताएं बढ़ती हैं। ट्वीट के जरिए सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए राहुल गांधी आरोग्य सेतु ऐप को जटिल निगरानी प्रणाली बता चुके हैं।