विश्व में जैनियों के सबसे बड़े आस्था के केंद्र पार्श्वनाथ की तलहटी में पर्वतपुर में सीआरपीएफ कैंप के विरोध में जुटे ग्रामीणों की भीड़ का फायदा उठाकर नक्सली पुलिस पर अटैक की तैयारी में थे। एक नक्सली ने ही इसका खुलासा किया। संयोग था कि हमला नहीं हुआ अन्यथा ग्रामीणों की भीड़ के दौरान पुलिस को भी हथियार का इस्तेमाल करना पड़ा। तब बड़ी घटना घट सकती थी। गिरिडीह पुलिस ने इसी 29 दिसंबर को माओवादी एरिया कमांडर प्रशांत मांझी उर्फ छोटका मुर्मू और उसकी पत्नी प्रभा उर्फ रीना सोरेन सहित छह लोगों को मीडिया के सामने पेश करते हुए जेल भेज दिया। पति-पत्नी दोनों पर दस-दस लाख रुपये का सरकार ने इनाम घोषित कर रख है।
पुलिस की पूछताछ में प्रशांत की पत्नी रीना ने ही इसका खुलासा किया। डीएसपी के सामने अपने स्वीकारोक्ति बयान में इसका जिक्र किया। बताया कि संगठन की ओर से उसे नारी मुक्ति संगठन की आड़ पार्श्वनाथ जोन में उसे गतिविधियां बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई थी। उसने संगठन का विस्तार किया और आज इलाके में मजबूत पकड़ है। पर्वतपुर में सीआरपीएफ पिकेट के हो रहे निर्माण को रोकने के लिए पीरटांड मेूं छह हार्डकोर जुटे थे और हमले की तैयारी में थे। इसी बीच पुलिस ने धर दबोचा।
पार्श्वनाथ की पहाड़ी का इलाका एक प्रकार से नक्सलियों के कब्जे में है। लेवी वसूली उनका मुख्य धंधा है। बीच-बीच में घटनाएं भी घटती हैं। नक्सलियों के प्रभाव को कम करने के मकसद से ही पर्वतपुर में सीआरपीफ का पिकेट खोलने की तैयारी चल रही है। हाल ही सीआरपीएफ कैंप के लिए चिह्नित जमीन की सीआरपीएफ और वन विभाग के अधिकारी मापी करने पहुंच थे। उसी दौरान करीब के दर्जनों गांवों के लोग पारंपरिक हथियारों के साथ जुलूस की शक्ल में पहुंच गये। धरना पर बैठ गये। कैंप में तोड़ फोड़ किया। दो दर्जन मोटरसाइकिलों को भी नुकसान पहुंचाया। दरअसल इसी कैंप से कोई एक-डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर पांडेयपुर में इनामी माओवादी अजय महतो का भी घर है। ग्रामीणों का मानना है कि कैंप से इलाका असुरक्षित हो जायेगा। पुलिस अत्याचार बढ़ेगा। जानकार मानते हैं कि सीआरपीएफ कैंप के विरोध के पीछे माओवादियों का ही हाथ है।