वेदप्रकाश शर्मा ने शुक्रवार को रात करीब 12 बजे मेरठ के शास्त्रीनगर के-ब्लॉक स्थित आवास पर आखिरी सांस ली। उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर छा गई। उनका जन्म 6 जून 1955 को हुआ था। वर्दी वाला गुंडा उनका सफलतम थ्रिलर उपन्यास है।
वेदप्रकाश के पिता पं. मिश्रीलाल शर्मा मूलत: मुजफ्फरनगर के बिहरा गांव के रहने वाले थे। परिजनों के मुताबिक, 62 वर्षीय वेदप्रकाश लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे। मुंबई स्थित हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा था। पिछले करीब डेढ़ माह से वह घर पर ही थे। वेदप्रकाश की तीन बेटियां करिश्मा, गरिमा और खुशबू और उपन्यासकार बेटा शगुन शादीशुदा हैं। वह तुलसी पॉकेट बुक्स के मालिक भी थे। उनकी पहली कहानी 1971 में ‘पेनों की जेल’ स्कूल पत्रिका में प्रकाशित हुई। वे उस पत्रिका के छात्र संपादक बनाए गए थे। ‘वर्दी वाला गुंडा’ के पहले संस्करण की 15 लाख प्रतियां छापी गईं। बाद के संस्करणों की प्रतियों की गिनती नहीं रखी गई।