राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि भारत 5,000 वर्षों से एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र रहा है। उन्होंने लोगों से एकजुट रहने और दुनिया के सामने मानव व्यवहार का सर्वोत्तम उदाहरण पेश करने का आह्वान किया।
आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी आर हरि द्वारा लिखित पुस्तक ‘पृथ्वी सूक्त – एन ओड टू मदर अर्थ’ के विमोचन के लिए आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भागवत ने लोगों से अपनी मातृभूमि के प्रति भक्ति, प्रेम और समर्पण रखने की अपील करते हुए कहा, ”हम मातृभूमि को हमारी राष्ट्रीय एकता का एक अनिवार्य घटक मानते हैं।’
आरएसएस प्रमुख ने कहा, "हमारी 5,000 साल पुरानी संस्कृति धर्मनिरपेक्ष है… सभी ‘तत्व ज्ञान’ में, यही निष्कर्ष है। पूरी दुनिया एक परिवार है, यह हमारी भावना है। यह कोई सिद्धांत नहीं है… इसे जानें, महसूस करें और फिर उसके अनुसार व्यवहार करें।”
भागवत ने कहा कि ऋषियों ने विश्व कल्याण के लिए 'भारत' का निर्माण किया। उन्होंने एक ऐसा समाज बनाया, जिसने अपना ज्ञान देश के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाया। वे केवल 'संन्यासी' नहीं थे। वे अपने परिवारों के साथ घुमक्कड़ों का जीवन व्यतीत करते थे। ये सभी 'घुमंतु' (खानाबदोश) अभी भी वहां हैं जिन्हें अंग्रेजों ने आपराधिक जनजाति घोषित किया था...उन्हें अक्सर समाज में अपनी संस्कृति का प्रदर्शन करते देखा जाता है, कुछ आयुर्वेदिक ज्ञान साझा करते हैं। उन्होंने कहा, "हमारे लोग मेक्सिको से साइबेरिया तक ज्ञान लेकर दुनिया भर में गए।"