मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार पर मंडरा रहे संकट के बादल के बाद भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह आश्वस्त हैं। उनका कहना है कि राज्य में कमलनाथ की अगुवाई वाली सरकार ही फ्लोर टेस्ट जीतेगी। दिग्विजय का कहना है कि 22 बागी विधायकों में से 13 ने आश्वासन दिया है कि वे कांग्रेस नहीं छोड़ रहे हैं।
22 विधायकों को साथ लेकर गए हैं सिंधिया
कांग्रेस के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी है। उनके पार्टी छोड़ने के एक दिन बाद दिग्विजय सिंह ने कहा, “हम शांत नहीं बैठे हैं, न हम सो रहे हैं।” राज्य में कांग्रेस सरकार के भविष्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ने के बाद, सिंह ने कहा कि किसी को भी अनुमान नहीं था कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और चार बार के लोकसभा सांसद सिंधिया पार्टी छोड़ देंगे। सिंह ने कहा, “यह उनकी बड़ी गलती है।” सिंह ने कहा, सिंधिया को मध्य प्रदेश में उप मुख्यमंत्री पद की पेशकश की गई थी। लेकिन वो राज्यसभा में नामांकन चाहते थे। सिंह का कहना है कि सिंधिया कांग्रेस की ओर से राज्यसभा के उम्मीदवार हो सकते थे लेकिन “केवल मोदी-शाह” ही इस “अति-महत्वाकांक्षी” नेता को कैबिनेट पद दे सकते हैं।
आखिरकार भाजपा के हुए सिंधिया
दिग्विजय ने यह भी दावा किया कि शिवराज सिंह चौहान द्वारा मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिराने में असफल रहने के बाद भाजपा ने सिंधिया पर दांव खेला। उन्होंने आरोप लगाया कि इसके बदले विधायकों को मोटी रकम की पेशकश की गई है। सिंधिया आज भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हो गए हैं।
228 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के पास बहुमत का आंकड़ा एकदम छूता हुआ है। विद्रोह से पहले, उसके पास 114 विधायक थे। इसमें चार निर्दलीयों, दो बसपा विधायकों और एक सपा का समर्थन भी कांग्रेस को था। लेकिन अब मौजूदा हालात में कुछ विधायक पक्ष पदल कर भाजपा में जा सकते हैं।
फ्लोर टेस्ट की अग्निपरीक्षा बाकी
यदि 22 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार किए जाते हैं, तो विधानसभा की ताकत 206 हो जाएगी। कांग्रेस अपने दम पर 92 सीटों के साथ रहेगी जबकि भाजपा के पास 107 सीटें हैं। इसमें बहुमत के लिए जादुई संख्या 104 है।