न्यायाधीश एस एल अनेकर ने अभियोजन पक्ष की उस दलील को भी बरकरार रखा था, जिसके मुताबिक, यह मामला 2002 के गुजरात सांप्रदायिक दंगों के बाद राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगाड़िया को मारने की साजिश का ही हिस्सा है।
मामले में कुल 22 आरोपी थे, जिन्होंने बड़े पैमाने पर विस्फोटक, हथियार और गोला बारूद इकट्ठा किए थे और 2002 के गुजरात दंगे में नेताओं की कथित भूमिका के लिए उन्हें निशाना बाने की साजिश की थी। जुंदाल की गिरफ्तारी के बाद साल 2013 में मामले की सुनवाई दोबारा शुरू की गई। सुनवाई इस साल मार्च में मकोका अदालत में पूरी हुई।
महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने औरंगाबाद के पास चंदवाड़-मनवाड़ राजमार्ग पर टाटा इंडिका और टाटा सूमो का पीछा किया था। एटीएस ने टाटा सूमो से तीन संदिग्धों मोहम्मद आमिर शकील अहमद, जुबेर सैयद अनवर और अब्दुलाजीम अब्दुलजमीद शेख को गिरफ्तार किया, जबकि टाटा इंडिका, जिसे कथित रूप से अबु जुंदाल चला रहा था, बच निकला।
टीएस ने बाद में 30 किलोग्राम आरडीएक्स, 10 एके-47, आर्मी असॉल्ट राइफल, 3200 राउंड गोला बारूद और अन्य हथियार जब्त किए। जुंदाल वाहन छोड़कर अपने एक अन्य सहयोगी के साथ बांग्लादेश भाग गया और उसके बाद फर्जी पासपोर्ट से पाकिस्तान फरार हो गया।
जुंदाल को जून 2012 में सऊदी अरब से यहां भेजे जाने के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। उसने एटीएस को अन्य ठिकानों के बारे में भी जानकारी दी। इस मामले में कुल 22 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। एटीएस ने वर्ष 2013 में जुंदाल सहित सभी आरोपियों के खिलाफ साल 2006 से ही विभिन्न मामलों की साजिश करने को लेकर आरोपपत्र दायर किए। एजेंसी